अस्पताल में पार्किंग व्यवस्था नहीं होने से बेतरतीब खड़े हो रहे वाहन, एम्बुलेंस भी फंस जाती है जाम में
बयाना 11 अगस्त। बयाना कस्बे के राजकीय रेफरल अस्पताल में पार्किंग की बड़ी समस्या है। पार्किंग का उचित स्थान नहीं होने के कारण लोग जहां जगह मिल जाए, वहीं अपने दुपहिया और चौपहिया वाहन खड़े कर चले जाते हैं। अस्पताल परिसर में बेतरतीब खड़े वाहनों के कारण अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों व अन्य लोगों सहित अस्पताल से सटे गर्ल्स हाई स्कूल व बांयज हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं व शिक्षक शिक्षिकाओं एवं वहां होकर कचहरी व बाजार आने जाने वाले अन्य लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।उपखंड के सबसे बड़े रैफरल अस्पताल में मनमाने ढंग से बेतरतीब खड़े वाहनों से कई बार इमरजेंसी के दौरान मरीजों को लाने वाले प्राइवेट वाहन और एंबुलेंस तक वहां फंस जाती है। जिसके कारण कई बार मरीज की जान पर भी बन आती है।
जानकारी के मुताबिक बयाना अस्पताल में रोजाना करीब 1500 मरीज दिखाने आते हैं। जिनमें से करीब 200 से 250 मरीज वार्डों में भर्ती भी होते हैं। अस्पताल में अधिकतर मरीज अपने वाहनों से आते हैं। लेकिन अस्पताल परिसर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से मरीज और उनके अटेंडेंट अपने वाहनों को अपना काम होने के बाद भी अस्पताल परिसर में ही इधर-उधर ऐसे खड़े कर देते हैं जैसे यह जगह उनके बाप की हो या जैसे यहां उनके बाप का राज चलता हो। ताज्जुब की बात तो यह है कि अस्पताल प्रशासन के लोग भी इस तरह की मनमानी और लोगों को समस्या पैदा करने वाले इन समाज कंटक प्रवृत्ति के लोगों को रोकने के बजाय उनकी मनमानी को नतमस्तक बने चुपचाप देखते रहते हैं। ऐसे में कई बार पैदल चलने तक की भी जगह नहीं बचती है। इधर-उधर बेतरतीब तरीके से खड़े वाहनों के कारण इस अस्पताल परिसर में रोजाना सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक जाम के हालात बने रहते हैं। इस दौरान मरीजों को लाने वाले वाहन और एंबुलेंस भी इस जाम में फंस जाते हैं। अस्पताल परिसर में ही कस्बे के सबसे बड़े राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक का मुख्य द्वार है। स्कूल की छुट्टी के समय एक साथ छात्राओं की भीड़ निकलती है तो हालात विकट हो जाते हैं।
इस संबंध में अस्पताल इंचार्ज डॉ. जोगेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि मरीजों और उनके अटेंडेंट को अपने वाहनों को ठीक ढंग से अस्पताल परिसर से बाहर खड़ा करने की हिदायत दी जाती है। लेकिन गांवों से आने वाले यह लोग नहीं मानते हैं और अपने वाहनों को बेतरतीब ढंग से खड़ा कर देते हैं। जिसकी वजह से जाम की स्थिति बनती है। इस अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या के अनुपात में 75 साल पुराना यह अस्पताल कैंपस काफी छोटा पड़ता है। जिससे पार्किंग स्टैंड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
डॉक्टर को बैठने के लिए भी नहीं पर्याप्त स्थान
बयाना उपखंड का यह सबसे बड़ा अस्पताल परिसर अब इतना छोटा पड़ता है कि यहां मरीज को देखने व उपचार करने के लिए बैठने वाले डॉक्टर्स व कंपाउंडरों एवं नर्सों को बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं है।
एक एक बेड पर तीन तीन मरीज
इस अस्पताल को क्रमोन्नत कराने व बैंडों की संख्या बढ़वाने को लेकर भले ही तथा कथित जनप्रतिनिधि और वाट्स एप छाप स्वयंभू नेता श्रेय लेने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हो किंतु हकीकत यह है कि इस वार्ड में रोगियों को बैड लगाने के लिए पर्याप्त वार्ड या कमरे तक नहीं है। रोगी बालों में क्षमता से अधिक बेड लगाने पड़ते हैं वही अब तो अस्पताल के मीटिंग हॉल में भी बेड लगाने पड़े हैं। अस्पताल में जगह की कमी के चलते कई बार तो एक-एक बेड पर तीन तीन रोगियों को भर्ती करना पड़ता है।
नया अस्पताल बनाने की मांग
भारतीय किसान यूनियन के नेता सुरेंद्र सिंह कंसाना सहित विभिन्न संगठनों के लोगों ने मुख्यमंत्री को अलग-अलग पत्र लिखकर बयाना में भी निकट के वैर कस्बे की भांति जिला स्तरीय व आधुनिक सुविधाओं युक्त नया अस्पताल भवन मरीजों के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कस्बा व आबादी क्षेत्र से बाहर बनवाए जाने और इस पुराने अस्पताल भवन में भरतपुर की भांति केवल जच्चा घर व सिटी हास्पिटल संचालित कराए जाने की मांग की है। आपको बता दें बयाना से आधी आबादी क्षेत्र के कस्बा वैर में राजस्थान सरकार की ओर से करीब 40 करोड़ रुपए की लागत से नया और आधुनिक सुविधाओं युक्त जिला स्तरीय अस्पताल भवन बनवाया जा रहा है। किंतु कमजोर प्रतिनिधित्व के चलते बयाना क्षेत्र की जनता अभी तक अपने इस हक और सुविधा से वंचित है। नया अस्पताल भवन अभी तक उनके लिए सपना बना हुआ है।