उदयभान करवरिया की रिहाई से प्रयागराज की सियासत में भूचाल कई नेताओं की उड़ी नींद

Support us By Sharing

28 साल पहले एके-47 से दहल उठा था प्रयागराज

प्रयागराज। भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की रिहाई ने कई नेताओं की नींद उड़ा दी है।ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने वाले पूर्व बाहुबली विधायक उदयभान करवरिया की सजा माफ हो गई है। पहली बार भाजपा की टिकट से विधायक बने उदयभान करवरिया का लाभ बीजेपी आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में ले सकती है। प्रयागराज में सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव की हत्या के मामले में कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

कौन हैं उदयभान करवरिया, जिनकी उम्रकैद की सजा हुई माफ रिहाई के लिए शासन ने दी मंजूरी
प्रयागराज हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की समय से पहले रिहाई होगी। कारागार विभाग ने इसका शासनादेश जारी कर दिया है। इसके बाद केंद्रीय कारागार नैनी में सजा काट रहे करवरिया का जल्द सलाखों से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।प्रयागराज में वर्ष 1996 में सपा के पूर्व विधायक जवाहर पंडित की हत्या के मामले में उदयभान करवरिया व अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी मामले में चार नवंबर, 2019 को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। प्रयागराज के डीएम व एसएसपी ने बीते दिनों पूर्व विधायक करवरिया की समयपूर्व रिहाई की संस्तुति की थी।
इस कारण समय से पहले आ रहे जेल से बाहर
जेल में अच्छे आचरण व दया याचिका समिति की संस्तुति के आधार पर समयपूर्व रिहाई का निर्णय लिया गया है। आदेश में कहा गया है कि यदि बंदी को किसी अन्य वाद में निरुद्ध न रखा जाना हो तो उसे शेष दंड की अवधि में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एसएसपी व डीएम प्रयागराज के समक्ष दो जमानतें तथा उतनी ही राशि का एक निजी मुचलका प्रस्तुत करने पर बंदी को कारागार से मुक्त कर दिया जाए। वहीं, पूर्व में करवरिया के विरुद्ध दर्ज मुकदमे को वापस लेने की पहल भी हुई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
यूपी में बदलेंगे राजनीतिक समीकरण
भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की रिहाई से तमाम राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। उनकी पहचान ब्राह्मण चेहरे के रूप में होती है। भाजपा 2027 के विधानसभा चुनाव में उसका फायदा उठाना चाहेगी। भाजपा से राजनीति की शुरुआत करने वाले उदयभान पहले प्रयास में सफल हो गए थे।
बसपा प्रत्याशी को मात देकर जीता था चुनाव
वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी के संरक्षण में राजनीतिक सफर में आगे बढ़ते रहे। यही वजह रही कि 2002 के चुनाव में उन्हें बारा विधानसभा का संयोजक बनाकर भेजा गया। जैसे ही चुनाव घोषित हुए उन्हें पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बना दिया गया। उन्होंने बसपा उम्मीदवार को मात दी। उसके बाद 2007 में फिर पार्टी ने विश्वास जताया और उम्मीदवार बनाया। दोबारा सफलता मिली। इसके बाद बारा विधानसभा सीट सुरक्षित घोषित हो गई। इसकी वजह से पार्टी ने उन्हें 2012 में शहर उत्तरी से उम्मीदवार बनाया। इस बार हार का सामना करना पड़ा। उनके प्रतिद्वंद्वी अनुग्रह नारायण सिंह सफल हुए थे।
2014 में जारी हुआ वारंट न्यायालय में किया आत्मसमर्पण
13 अगस्त, 1996 को सिविल लाइंस में सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था। पहली बार ऐसा हुआ था, जब इलाहाबाद में एके-47 तड़तड़ाई थी। आरोप करवरिया बंधुओं पर लगा। मामले में कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया व उनके रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू नामजद हुए, लेकिन राजनीति में तीनों भाइयों का रसूख बढ़ता गया।कपिलमुनि बसपा से सांसद, उदयभान भाजपा से विधायक व सूरजभान बसपा से एमएलसी बने। स्थिति वर्ष 2014 में पलटी। उदयभान ने वर्ष 2014 में न्यायालय में तब आत्मसमर्पण किया था, जब उनके खिलाफ वारंट जारी हो गया था।
तीनों भाइयों को अदालत ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
अदालत ने चार नवंबर 2019 को तीनों भाइयों सहित चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। करवरिया परिवार और पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित के बीच बालू के ठेकों पर वर्चस्व को लेकर अदावत शुरू हुई थी। वहीं शनिवार विधायक व जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव का कहना है कि उदयभान करवरिया की हुई रिहाई को न्यायालय में चुनौती दूंगी।
उदयभान की पत्नी ने मेजा विधानसभा में पहली बार खिलाया था कमल
उदयभान करवरिया जवाहर पंडित हत्याकांड में अपने दोनों भाइयों के साथ जेल में बंद थे। साल 2017 में उदयभान करवरिया ने अपनी पत्नी नीलम करवरिया को रसोई से सीधे राजनीति में उतारा और भाजपा ने मेजा विधानसभा से उन्हें प्रत्याशी बनाया। नीलम करवरिया के उदय भान की पहचान लेकर मेजा से चुनावी बिगुल फूंका और मेजा की जनता ने उन्हें यहां से विधायक बना दिया। उदयभान के लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की जेल में होने के बावजूद भी जनता ने उनकी पत्नी को विधायक बना दिया था।
पहले होती रिहाई तो इलाहाबाद लोकसभा सीट पर लहराता भाजपा का परचम
उदयभान करवरिया की रिहाई को थोड़ा विलंब माना जा रहा है। प्रयागराज के भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि लोकसभा चुनाव के पहले ही उनकी रिहाई हो गई होती तो इस सीट पर भाजपा की ही जीत होती। भाजपा के हर नेता को पता है कि प्रयागराज में उदयभान का क्या दबदबा है बाहर होते तो निश्चित ही उनके पार्टी का परचम लहराता।


Support us By Sharing
error: Content is protected !!