बसपा शासन काल में जीवन यापन के लिए दी गई पट्टे की जमीन को औने-पौने दाम मे खरीद कर फ्री होल्ड प्लाट के नाम पर बेच रहे भू- माफिया

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प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। जिले में जमीन की खरीद-फरोख्त का कारोबार अब एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है। प्रॉपर्टी डीलिंग के नाम पर सक्रिय हुए भूमाफियाओं ने अब उपजाऊ जमीन के स्वरूप को बदलकर कमाई का नया जरिया शुरू कर दिया है। बिना नक्शा पास कराए खेतिहर जमीनों पर अवैध तरीके से प्लाटिंग कराकर नगर बसाए जा रहे हैं। सुविधाओं के बढ़ते ही जिले की जमीन के भाव आसमान छूने लगे हैं। बदलते समय में मिट्टी से अपनी तकदीर संवारने की फिराक में प्रॉपर्टी डीलरों ने भी रोज नए-नए पैंतरेबाज़ी से राजस्व विभाग से सांठ-गांठ कर अंजाम दे रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जनपद के यमुनानगर ग्राम सभा शिवराजपुर के मजरा बैशा के 72 बीघा पट्टे की जमीन पर अवैध रूप से प्लाटिंग का मामला प्रकाश में आया है। मिली जानकारी के मुताबिक बसपा शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के समय 2007 में लगभग 72 बीघा जमीन जो गरीबों के नाम जीवन यापन के लिए पट्टा दिया गया था उसे पट्टे की जमीन को भू माफियाओं द्वारा गरीबों को खयाली पुलाव का लालच देकर औने-पौने दाम में खरीद कर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। जबकि ग्राम प्रधान शिवराजपुर ने इस मामले में संपूर्ण समाधान दिवस बारा में लिखित शिकायत दर्ज करवाई थी।मामले को संज्ञान में लेते हुए उच्च अधिकारियों ने धारा 66 के तहत कार्यवाही की संस्तुति की थी। मगर आज तक कोई भी कार्यवाही ना करते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। वहीं लोगों की माने तो जांच करने की जिम्मेदारी जिन राजस्व विभाग के अधिकारियों को दी जाती है वही भूमाफियाओं को संरक्षण देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं ऐसे में कैसे हो पाएगी कार्यवाही जो कहीं ना कहीं प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा करता है। दैनिक समाचार पत्रों में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बावजूद भी राजस्व विभाग कुंभकरणी निद्रा में मस्त है। तहसील प्रशासन ऐसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई करने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहा है। जिसके कारण इनका आतंक पूरे क्षेत्र में मकड़ जाल की तरफ फैल चुका है। एक तरफ शासन प्रशासन अवैध रूप से कब्जा धारकों के खिलाफ कई टीमों को गठित कर दिशा निर्देश देते हुए कब्जा मुक्त करने की हुंकार भर रहा है। लेकिन यही हुंकार शंकरगढ़ थाना क्षेत्र में इन अवैध कारोबारियों के आगे बौना साबित होता दिखाई दे रहा है। विभाग में बैठे आला अधिकारियों की बात की जाए तो देखने के लिए तो दर्जनों से अधिक अधिकारी हैं। लेकिन कार्यवाही के नाम पर बोने बन जाते हैं। अब देखना होगा कि अधिकारी कार्यवाही करने के लिए कौन सा कदम उठाते हैं जिससे हो रहे अवैध प्लाटिंग पर लगाम लग सके।


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