ईदगाह एवं मस्जिदों में शांति व सौहार्द के साथ अदा की गई ईद-उल-अजहा की नमाज

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ईदगाह एवं मस्जिदों में शांति व सौहार्द के साथ अदा की गई ईद-उल-अजहा की नमाज

सुबह की नमाज के बाद शांति , मुल्क की तरक्की और सलामती के लिए मांगी गई दुआएं

प्रयागराज। ईद-उल-अजहा का त्योहार क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। जामा मस्जिद शंकरगढ़, नूरी मस्जिद लौंद खुर्द कंचनपुर व तमाम मस्जिदों में सुबह की नमाज अता की गई। अकीदत मन्दों ने पूरी अकीदत के साथ नमाज अता की और शांति , मुल्क की तरक्की, तथा भाईचारे के लिए दुआएं मांगी। सुन्नी जामा मस्जिद शंकरगढ़ इमाम मौलाना गुलाम नबी आजाद ने नमाज अता कराई सबने शांति भाईचारा और अमन कायम रहे इस का संकल्प लिया। नमाज के बाद जमील खां, शादाब शमी उमर, मोहम्मद शफीक, मैकनभाई , मोहम्मद तसलीम, डॉ इजहार हुसैन, मोहम्मद दीवान, मोहम्मद जाहिद, मोहम्मद इश्तिखार सलीम खां, वकील खां,शकील खां हाफिज सलमान, हाफिज इस्लाम हुसैन, शमीम, मुनाजिर, नावेद खां , याकूब खां आदि नमाजियों ने एक दूसरे के गले मिले तथा ईद- उल -अजहा की बधाई दी।

हिंदू सिख और ईसाई समाज के लोगों ने भी मुस्लिम समाज के लोगों के गले मिलकर बधाई दी। इस दौरान किसी तरह की समस्या ना उत्पन्न हो जाए इसके लिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की थी पुलिस बल के जवान बड़ी संख्या में मस्जिदों के सामने तैनात किए गए थे। पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी लगातार गश्त पर थे हर स्थान पर निगरानी रखी जा रही थी। ईद के मौके पर मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाले इलाकों में बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोगों की भीड़ लगी रही। सभी अपने अपने दोस्तों के घर ईद उल अजहा की बधाई देने पहुंचे थे उन लोगों ने खास व्यंजनों का लुत्फ उठा कर इस खास त्यौहार का आनंद लिया। यह सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। क्षेत्र में गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखते हुए परंपरा रही है कि मुस्लिम ही नहीं अन्य धर्म के लोगों को भी इस खास पर्व का इंतजार रहता है। मुस्लिमों को भी अपने सभी वर्ग के भाइयों का इंतजार रहता है। इस मौके पर सुन्नी जमा मस्जिद शंकरगढ़ अध्यक्ष जमील खान ने लोगों से अपील भी किया कि कुर्बानी पर्दे की आड़ में किया जाए, जानवर की खाल को गड्ढे में गाड़ दिया जाए, जानवर के खून को नाली में ना बहाएं जिससे किसी की भावना आहत ना हो। गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखते हुए सभी धर्मों का आदर सम्मान करें व एक दूसरे के साथ मिलजुल का त्यौहार को मनाएं।

राजदेव द्विवेदी


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