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बिजली विभाग के कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

बिजली विभाग के कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

निजीकरण के खिलाफ जताया विरोध दी आंदोलन की चेतावनी

प्रयागराज। बिजली विभाग द्वारा पंचायत में निजीकरण के विरोध में कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने निजीकरण के निर्णय को वापस लेने के साथ ही सीएम से समस्याओं के समाधान को लेकर हाईकोर्ट से जारी आदेश का पालन नहीं करने का आरोप भी आरोप पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन पर लगाया। कहा कि कर्मचारी अब करो या मरो की भावना से प्रदर्शन कर रहे हैं।महाकुंभ में बिजली की समस्या नहीं होने का लिया संकल्प बिजली पंचायत में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कर्मचारियों ने अपील करते हुए कहा कि बिजली के निजीकरण का पॉवर कारपोरेशन का प्रस्ताव आम उपभोक्ताओं और किसानों के हित में नहीं है, ऐसे में उसे वापस लेना चाहिए। जार्जटाऊन में रविवार को हुई बिजली पंचायत में बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान सभा के लोग भी बिजली पंचायत में शामिल होने पहुंचे।सभी ने एक स्वर में बिजली पंचायत में निजीकरण के विरोध में करो या मरो की भावना से निर्णायक संघर्ष का फैसला लिया। साथ ही यह भी कहा कि महाकुंभ के दौरान बिजली की कोई समस्या नहीं होने दी जाएगी।हाईकोर्ट के आदेश का भी पॉवर कारपोरेशन पर नहीं असर संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन पर आरोप लगाया कि प्रबंधन हाईकोर्ट की तरफ से बीते पांच नवम्बर को दिए गए आदेश का पालन नहीं कर रहा रहा है। जिसमें पॉवर कारपोरेशन और सरकार को यह निर्देश दिया गया था कि वह बिजली कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान हेतु ग्रीवांस रिड्रेसल व्यवस्था बनाए।कोर्ट ने 20 मार्च 2023 को आदेश दिया था कि प्रबन्धन द्वारा समस्याओं के समाधान करने के लिए वार्ता का क्रम जारी रखें। संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने निजीकरण से होने वाली समस्याओं पर आज तक एक बार भी अनुरोध के बावजूद संघर्ष समिति से कोई वार्ता नहीं की है। इससे स्पष्ट है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन निजीकरण की इतनी जल्दी में है कि उसे कोर्ट के आदेश की भी कोई परवाह नहीं है।कई स्थानों पर विफल हो चुका है निजीकरण फैसला प्रदर्शन के दौरान संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि निजीकरण का प्रयोग कई स्थानों पर विफल हो चुका है। इसमें उड़ीसा, औरंगाबाद, नागपुर,जलगांव, समस्तीपुर, गया, भागलपुर, उज्जैन, सागर, ग्वालियर,आगरा और ग्रेटर नोएडा शामिल हैं। ऐसे में निजीकरण के इस विफल प्रयोग को देश के सबसे बड़े प्रांत उत्तर प्रदेश में लागू करना उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हित में नहीं होगा।निजी बिजली कंपनियां मुनाफे के लिए काम करती हैं। मुम्बई में टाटा पावर और अदानी पॉवर काम करती हैं और मुम्बई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए निजी कंपनी की बिजली की दरें 17-18 रुपए प्रति यूनिट है। उप्र में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की अधिकतम दरें 06.50 प्रति यूनिट है। सरकारी क्षेत्र में किसानों को मुफ्त बिजली मिलती है।निजीकरण होते ही घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें कम से कम 15 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगी। बिजली का निजीकरण किसानों और सामान्य उपभोक्ताओं की कमर तोड़ देगा। पंचायत को मुख्य रूप से शैलेन्द्र दुबे, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महेन्द्र राय, पी के दीक्षित, सुहेल आबिद, श्रीचन्द, वी सी उपाध्याय, समेत एटक, इंटक, सीटू, ऐक्टू और अन्य ऑल इंडिया ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों ने समर्थन दिया है।