ओउमाश्रय सेवा धाम में उत्पन्ना- वैतरणी एकादशी के ब़त का मर्म समझाया


इस एकादशी पर भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न देवी द्वारा असुर का नाश इन्द़िय निग़ह संयम वैराग्य से मोक्ष मार्ग का संदेश है -” यश”

जयपुर, ऋतुओं पर आधारित पर्वो के पौराणिक कथानकों की उपमाएं को समझकर मनुष्य यौनि के मोक्ष प्राप्ति लक्ष्य हेतु संकल्पित होना ही उत्पन्ना वैतरणी एकादशी व्रत है। उक्त कथन शिव विहार कालोनी मुहाना स्थित ओउमाश्रय सेवा धाम में वैदिक चिंतक एवं ओउमाश्रय संचालक यशपाल यश ने व्यक्त किए।
यश ने कहा कि सृष्टि संचालक भगवान विष्णु हमारी मुक्ति हेतु एकादश पांच ज्ञानेन्द्रिया पांच कर्मेंद्रियां तथा ग्यारहवें मन को नियंत्रित रखने दैवीय शक्ति द्वारा मुर रूपी विषय वासनाओं के राक्षस का नाश कराने का ज्ञान देते हैं। यश ने कहा कि व़त उपवास संकल्प वोह माध्यम है जव भोजन त्याग कर जिव्हा में रस वनते हैं उस समय आत्मा परमात्मा प़ाप्ति हेतु एकाग्रचित्त होकर व्याकुल तथा आर्तभाव से समर्पित होती है। यश ने” यज्ञों वै विष्णु” का उल्लेख करते हुए कहा कि मानव सेवा तथा परोपकारी कार्य ही यज्ञ हैं दींन दुखियों को भोजन वस्त्र आवास चिकित्सा द्वारा खुशियां देकर प़भु प़ाप्ति हेतु दान पुण्य की हमारी परंपरा ही सनातन संस्कृति है।
यज्ञ संचालन में श्रीमति सन्तोष नारायण शर्मा ने सहयोग किया मुख्य यजमान राजेश गोयल रहे। छोटे वच्चों ने मंत्रपाठ में भाग लिया।


WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now