धूल भरी आंधी पर आस्था पडी भारी ,नही रोक पाई जनसैलाब, गूंजते रहे कारिस देव बाबा के जयकारे

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कारिस देव बाबा की गोट गायन में भावविभोर हुए श्रद्वालु

भुसावर|श्री देव बाबा मेला कमेटी एवं देव बाबा भक्तों की ओर से अरावली पर्वत मालाओं की पहाडियों में बसे गांव जहाज स्थित श्री कारिस देव बाबा मन्दिर पर चल रहे श्री कारिस देव बाबा मेला में श्रद्वालुं की देव बाबा के प्रति आस्था व भावना को अन्धड भी नही रोक पाया,श्रद्वालु धूल भरी आंधी में मुख पर सुआफी ढक देव बाबा के दर्शन को आते-जाते रहे,जो कारिस देव बाबा सहित अन्य देवी-देवताओं के जयकारे लगाते और नाचते-कूदते नजर आए। देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्वालुओं ने देव बाबा के दर्शन व पूजा-अर्चना करने के बाद गोट गायन का आनन्द लिया,जो बाबा की गोट गायन में भावविभोर हो गए और देव बाबा के गोठियों से आर्शीवाद प्राप्त कर,विश्वशान्ति,मानव कल्याण,पशुधन सरंक्षण,गौवंश रक्षा,परिवार की खुशहाली व दुधारू-पालतू मवेशियों की सख्यां बढोत्तरी की कामनाए की। कारिस देव बाबा मन्दिर के गोठिया खुबीराम व नृपत सिंह ने बताया कि कारिस देव बाबा का मेला 24 अप्रेल से जारी है,जो 10 मई तक आयोजित होगा। मेले के गुजरे चार दिवस में करीब ढाई लाख से अधिक श्रद्वालुओं ने कारिस देव बाबा के दर्शन कर धोक लगाई। साल 2023 में लगे मेले में करीब 5 लाख से अधिक श्रद्वालुओं ने दर्शन किए,इस बार ये रिकार्ड टूट सकता है। 26 अप्रेल की सायं धूल भरी आंधी चली,जो भी श्रद्वालुओं को नही रोक सकी,ये देव बाबा का चमत्कार है।
– बाबा को बेसन के लड्डू व घी पसन्द
गोठिया खुबीराम का कहना है कि कारिस देव बाबा का सर्वाधिक प्रिय भोजन में देशी घी से बने मालपूए,खीर,बेसन के लड्डू,जलेबी,देशी घी आदि है,श्रद्वालु भी मेले में देशी के भोजन बनाते है और बाबा की प्रसादी में बेसन की मिठाई,देशी घी,बतासे आदि चढाते है। साथ ही गाय,बन्दर,कुत्ता आदि को हरा चारा,फल,चना-बाजरा की रोटी और पक्षियों को चुग्गा डालते है। जगह-जगह पक्षियों को परिण्डे तथा जंगली जानवर व गाय आदि को अस्थाई प्याऊ लगवाते है।
– सीता कुण्ड में लगा रहे डूबकी
जहाज गांव के कारिस देव बाबा मन्दिर को गांव सीता व रायपुर के पास से पैदल रास्ता है,जिसकी चढाई अधिक है और पहाडी है। रास्ता में सीता बान्ध और सीता कुण्ड पडते है। श्रद्वालु दोनों जल स्त्रोतों में स्नान करते है। क्षेत्र के लोगों के द्वारा बताया जाता है कि सीता कुण्ड में हजारों साल से नियमित झरना बह रहा है,जिसका पानी पहाड से आता है। इस कुण्ड की गहराई 8 से 12 फीट तथा लम्बाई 15 फीट एवं चैडाई 7 फीट है।
– फीटा काटते ही कुर्सी गायब
गांव सीता निवासी 75 वर्षीय रामपाल पटेल एवं गांव रायपुर निवासी हरप्रसाद गुर्जर ने बताया कि राज्य सरकार ने क्षेत्र की पेयजल व सिचाई समस्या का समाधान करने को साल 1980 में सीता बान्ध योजना स्वीकृत की,जिसका निर्माण पूरा होते ही साल 1981 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाडिया ने सीता बान्ध का उद्घाटन कर फीता काटा ही था,तभी दिल्ली से प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी और कांगेस के आलानेताओं का बुलावा आ गया। उक्त बान्ध का उद्घाटन कार्यक्रम मध्य में छोड कर पहाडिया को दिल्ली जाना पडा और मुख्यमंत्री की कुर्सी से त्याग पत्र देना पड गया। आज भी जनप्रतिनिधी व अन्य गणमान्य लोगों में भय व्याप्त है कि देव बाबा के प्रकोप का सामना पहाडिया को करना पडा,क्यू कि देव बाबा को प्रकृति व वन सम्पति से छेडछाड करना पसन्द नही। तभी ये बरसात कम हो गई।
– ना हिंसक जानवरो का भय न प्रकृति के प्रकोप का
कारिस देव बाबा मन्दिर वाले इलाके तथा रास्ता में भारी सख्यां में हिंसक व अहिंसक जानवरों है। जिनमें बघेरा,जरख,जंगली कुत्ता,बन्दर आदि सहित काला सर्प ,अजगर,घोहरा आदि सर्वाधिक है। ऐसे जानवरों का कारिस देव बाबा के श्रद्वालुओं तनिक भी भय नही है। साथ ही आए दिन प्रकृति के प्रकोप आ रहे है,जिनमें धूल भरी आंधी,बरसात व रेतीले पहाड से धंसती रेत आदि से भी मन विचलित नही करते। ये कारिस देव बाबा की कृपा पर विश्वास कर घनघोर जंगल और ऐसे रास्ता से मंजिल पार कर देव बाबा के दर्शन कर आते है।


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