वर्षा पर निर्भर हैं पाठा क्षेत्र के किसान हेमवती नंदन बहुगुणा को छोड़ किसी सरकार व सरकार के प्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान

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प्रयागराज। ‘बिन पानी सब सून’ मतलब जहां पानी का अभाव है वहां सब कुछ सूना है। कहते हैं जहां जल नहीं वहां कल नहीं। यह सच है कि जल ही जीवन है। जनपद के यमुनानगर शंकरगढ़ विकासखंड का ज्यादातर हिस्सा पाठा और यह पहाड़ी क्षेत्र हमेशा से जल संकट के लिए मशहूर रहा है। यहां पेयजल समस्या के साथ किसानों के सिंचाई के साधन न होने से किसान खेती छोड़ रहे हैं। हर बार के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हरबार क्षेत्र के किसानों से झूठ बोलकर नेता अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं।किसानों को सिर्फ उन्हों योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है,जो उच्च स्तर से सीधे किसानों के पास पहुंचती है। किसानों को कृषि संबंधित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं अभी भी सिंचाई के लिए किसानों को वर्षा पर निर्भर होना पड़ रहा है किसानों की स्थिति बदहाल है क्षेत्र में अभी भी कृषि कार्य पुराने तरीके से की जाती है।

उपलब्धियां गिनाते फिर रहे नेता, जमीन पर कुछ काम नहीं
स्थानीय जनप्रतिनिधि उपलब्धियां गिनाते नहीं थक रहे हैं। लेकिन जमीन पर कुछ भी ऐसा काम नहीं हुआ जिससे स्थानीय लोगों को फायदा हो सके। स्थानीय नेता भी राष्ट्रीय मुद्दे की बात कर लोगों से वोट मागने पहुंच रहे है। स्थानीय मुद्दों की बात करने को कोई भी तैयार नहीं है। जिससे क्षेत्र के लोगों को फायदा हो। अब तक पाठा क्षेत्र के किसानों के लिए सांसदों ने क्या काम किया, इसका भी व्यौरा वर्तमान प्रत्याशी नहीं दे पा रहे हैं। जानकारों की माने तो सच्चाई यह है कि धरातल पर किसानों के लिए कुछ काम ही नहीं हुआ है।
पाठा क्षेत्र के किसानों के उत्थान के लिए नहीं किया गया कोई प्रयास
बारा क्षेत्र के किसानों के उत्थान के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। चुनाव में सिर्फ लोकलुभावने वादे कर बोट बटोर ले जाते हैं। पाठा क्षेत्र का किसान आज भी पूरी तरह से वर्षाजल पर निर्भर है। बारिश हुई तो फसल होती है और बारिश नहीं होने पर किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ती है। पाठा क्षेत्र मे सिंचाई का साधन न होने से हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर पड़ी है।अगर बारिश न हुई तो किसानों को भारी नुकसान के साथ कर्ज से जूझना पड़ता है। बारिश न होने पर पाठा का किसान अक्सर सूखे की मार झेलता है। फिर भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा इस गंभीर समस्या को कभी भी नहीं उठाया गया। जाहिर है कि इस समस्या का हल किया जा सकता है। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनियों के निष्क्रियता के चलते समस्याओं का हल नहीं हो पा रहा है। निश्चित रूप से सिंचाई समस्या का हल होने से पाठा का किसान खुशहाल होकर आसानी से अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकता है। इस क्षेत्र में अधिकांश एरिये की फसले बारिश पर ही निर्भर हैं। जहां बंधा और बंधी हैं वहीं गेहूं बोया जाता है, बाकी राई की ही खेती की जाती है।
सिंचाई का साधन होने पर किसान हो सकता है खुशहाल
सिंचाई सुविधा न होने की वजह से यहां का किसान खेती छोडकर पलायन कर रहा है। इस विकराल समस्या को यहां के जनप्रतिनिधियों ने हमेशा से नजरअंदाज किया है।


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