अगर एक रोम के बराबर परमात्मा की अविरल भक्ति प्राप्त हो जाए तो जीवन सार्थक हो जाता है – पाराशर
डीग 5 मार्च – शिव महापुराण कथा श्रवण व शिव भक्ति के लिए पहले अहंकार दूर करना होगा। क्योकि जब तक अहंकार होता है तक भोलनाथ प्रसन्न नही होते है। यह वाक्य शहर के मुख्य बाजार स्थित मंदिर श्री द्वारिकाधीश में आयोजित हो रही शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन कथा प्रवक्ता लक्ष्मण मंदिर के मंहत पंडित मुरारी लाल पाराशर ने कही। पाराशर ने शिव महापुराण की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव की आराधना मनुष्य को मोक्ष प्रदान करती है। इसलिए समस्त मानव जाति को भगवान शिव की निर्मल मन से उपासना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘पार्वती जी ने भगवान शिव से कहा कि आप परम तत्व के बारे में अवगत करवाएं। जिसकी शरण में जानें से मुक्ति मिल जाती हो। पार्वती जी की बात सुनकर भगवान शिव बोले कि हे देवी विज्ञान ही परम तत्व है और यह विज्ञान मनुष्य के अंतर्मन में ही विराजमान रहता है।मगर आज का इंसान सांसारिक मोह माया में उलझा हुआ है, जिसकी वजह से वो जीवन काल तक इधर से उधर भटकता रहता है।
पाराशर ने कहा कि भगवान शिव की कथा विश्व का कल्याण करती है। बिना प्रभु की कृपा के उसकी एक झलक भी नहीं मिलती, शरीर में साढ़े तीन करोड़ रोम होते हैं। अगर एक रोम के बराबर परमात्मा की अविरल भक्ति प्राप्त हो जाए तो जीवन सार्थक हो जाता है।
उन्होंने कहा कि शिव की कृपा और उदारता उसी को मिलती है जो शिव का भक्त होता है। अगर 24 घंटे शिव की भक्ति नहीं कर सकते तो एक मिनट ही उनका ध्यान कर लेना, महादेव की कृपा से सब कुछ शुभ ही शुभ होगा। अगर चित्तवृत्ति परमात्मा में नहीं है तो भक्ति व्यर्थ ही चली जाएगी। इस मौके पर रामकिशन गोयल,राजरानी गुप्ता,राकेश गोयल,वरुण गोयल,अनिल बंसल,विशाल मामा वाले सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्त उपस्थित थे।