सच्चे मित्र मिलना दुर्लभ, जग में मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी-स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज

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श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में सुदामा चरित्र का वाचन एवं महाआरती के साथ कथा विश्राम

भीलवाड़ा, 18 जून। वर्तमान में सच्चे मित्र मिलना दुर्लभ है, जग में मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी। सुदामा के चरणों का कांटा भगवान ने अपने मुख से निकाला। वर्तमान युग में ऐसा कौन है जो मित्र के दुःख को बांटने के लिए अपने सुख छोड़ दे। संसार वाले तो मित्रता की आड़ में कांटे चुभाते है लेकिन कांटे निकालने का कार्य भगवान गोविन्द करता है। मित्र उसी को बनाना चाहिए जिसका मन पवित्र हो। दरिद्र वहीं है जिसके पास भगवान रूपी धन नहीं है। कृष्ण जैसा मित्र जिसके पास हो वह सुदामा कभी दरिद्र नहीं हो सकता। ये विचार शहर के देवरिया बालाजी रोड स्थित आरके आरसी माहेश्वरी भवन में काष्ट परिवार की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अंतिम दिवस रविवार को व्यास पीठ से सुदामा चरित्र का वाचन करते हुए कथावाचक स्वामी सुदर्शनाचार्यजी महाराज ने व्यक्त किए। अंतिम दिन कथाविश्राम से पूर्व सुदामा चरित्र प्रसंग का वाचन तथा महाआरती हुई। कथास्थल पर पिछले पांच दिन से रात्रि के समय श्री शिव महापुराण कथा कर रहे भागवत भक्त श्री दूदाधारी गोपाल मंदिर के पं. गौरीशंकर शास्त्री महाराज ने भी पहुंच कर आर्शीवचन दिए। स्वामी सुदर्शनाचार्य ने सुदाम चरित्र प्रसंग सुनाते हुए मित्रता की परिभाषा समझाते हुए कहा कि सच्चा मित्र वहीं है जो हर दुःख-सुख में साथ रहे। कथा में जब सजीव झांकियों के माध्यम से दरिद्र सुदामा के द्वारिकाधीश भगवान कृष्ण से मिलने आने, भगवान के स्वयं उसे लेने जाने और भगवान कृष्ण द्वारा जल की बजाय आसूंओं से सुदामा के चरण धोने का प्रसंग साकार हुआ तो माहौल भावनापूर्ण हो गया और कृष्ण-सुदामा के जयकारे गूंज उठे। कथा के अंतिम दिन आयोजक काष्ट परिवार की ओर से व्यास पीठ से कथाश्रवण करा रहे स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज का अभिनंदन किया गया। कथा के दौरान सांसद सुभाष बहेड़िया, दक्षिण प्रादेशिक माहेश्वरी सभा के अध्यक्ष राधेश्याम चेचाणी, सभा के प्रदेश कार्यालय मंत्री देवेन्द्र सोमाणी, सभा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य केदारमल जागेटिया, प्रदेश संगठन मंत्री ओमप्रकाश गट्टानी, आरके आरसी माहेश्वरी भवन समिति के अध्यक्ष दिलीप लाहोटी, ललित लढ़ा आदि ने व्यास पीठ पर विराजित स्वामी सुदर्शनचार्य महाराज का माल्यापर्ण कर स्वागत किया एवं आशीर्वाद लिया। कथा के अंत में व्यास पीठ की आरती करने वालों में कृष्णगोपाल सोड़ानी, राजेन्द्र पोरवाल, सुरेश कचोलिया, नारायणलाल लढ़ा, अभिजीत सारड़ा, जगदीश मूंदड़ा, सत्यनारायण सोमानी आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत काष्ट परिवार के श्री कैलाशचन्द्र काष्ट, कमल काष्ट ने किया एवं आयोजन सफल बनाने के लिए सभी श्रद्धालुओं का आभार जताया। महाआरती के साथ कथा का विश्राम हुआ। महाआरती में सैकड़ो श्रद्धालु शामिल हुए और पूरे भक्तिभाव से व्यास पीठ की आरती की। बारिश के मौसम को देखते हुए आयोजकों की ओर से कथाश्रवण के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वाटरप्रूफ टेंट सहित सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई थी। कथा समापन पर स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज को पुष्पवर्षा करते हुए भावपूर्ण विदाई दी गई। आयोजक काष्ट परिवार की ओर से महाप्रसादी का आयोजन भी किया गया।

मूलचन्द पेसवानी


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