दुर्गाष्टमी पर श्रीकैला देवी झीलकाबाड़ा मंदिर में दर्शनों को उमड़ा आस्था का सैलाब

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दुर्गाष्टमी पर श्रीकैला देवी झीलकाबाड़ा मंदिर में दर्शनों को उमड़ा आस्था का सैलाब, करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने किए माता के दर्शन,
चैन स्नेचर गिरोह ने करीब एक दर्जन महिलाओं की काटी चैन व मंगल सूत्र

बयाना, 22 अक्टूबर शारदीय नवरात्रि की दुर्गाष्टमी पर रविवार को घरों और मंदिरों में भक्ति का माहौल रहा। देवी उपासकों ने अष्टमी पर देवी मां की विशेष पूजा अर्चना की। इधर, भरतपुर जिले के प्रमुख आस्था धाम श्री कैलादेवी झील का बाड़ा में श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब उमड़ता दिखाई दिया। माता के दर्शनों के लिए सुबह से ही राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली आदि राज्यों से आए श्रद्धालुओं के आने का दौर शुरू हो गया। मंदिर भवन के बाहर दिनभर श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। दुर्गाष्टमी पर राजराजेश्वरी कैला माता का विशेष शृंगार किया गया। दुर्गाष्टमी पर मंदिर में महाआरती और विशेष अनुष्ठान हुआ। घंटे-घड़ियालों की ध्वनि और माता के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन कर उन्हें बीड़ा, पान, बताशे, हलवा, चना और मिठाई का भोग अर्पित किया। मंदिर भवन में महिला श्रद्धालुओं ने नगाड़े की धुन पर नृत्य कर मां को रिझाया। श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ को देखते हुए मेले में तैनात पुलिसकर्मियों को भी खासी मशक्कत करनी पड़ी।


मेले में मौजूद राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि रविवार को करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे। माता के दर्शनों के बाद महिला श्रद्धालुओं ने परंपरा का निर्वाह करते हुए मेले में सजी दुकानों पर कांच की हरी चूड़ियां पहनी और हाथों में मेहंदी भी लगवाई। मेले में बड़ी संख्या में छोटे बच्चों के मुंडन संस्कार कार्यक्रम भी हुए। अधिक भीड़ के कारण मेले में कई बच्चे अपने परिजनों से भी बिछड़ गए। जिन्हें कंट्रोल रूम पर ले जाकर पब्लिक अनाउंसमेंट के जरिए उनके परिजनों से मिलाया गया। मेले में आए श्रद्धालुओं ने रवि कंड और काली सिल में स्नान कर और हाथ मुंह धोकर माता के दर्शन किए।

महिलाओं की चेन काटी : मेले में चेन स्नेचर गिरोह भी सक्रिय रहा। झील पुलिस चौकी और कंट्रोल रूम पर दिनभर कई महिलाएं अपनी चेन, मंगलसूत्र काटने की शिकायत लेकर पहुंची।
मेले में लिया खरीदारी व खान-पान का लुत्फ : माता के दर्शनों के बाद श्रद्धालुओं ने मेले में सजी दुकानों पर खरीदारी की। लोगों ने घरेलू उपयोग में काम आने वाली वस्तुओं सहित खिलौनों की खरीददारी की।


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