महाराजा जसवंत सिंह प्रदर्शनी स्थल संघर्ष समिति का गठन
भरतपुर 29 अगस्त/ भरतपुर मेला व्यापारी आज मनुदेव सिनसिनी के नेतृत्व में एकजुट हुए और 105 साल पुराने ऐतिहासिक मेला मैदान को बचाने के लिए संघर्ष समिति का गठन किया।
मेला व्यापारियों ने एक स्वर में कहा कि महाराजा जसवंत सिंह मेला लगभग 25000 मेला व्यापारियों और मजदूरों की रोजीरोटी है जिसे हम किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होने देंगे।
इसी क्रम में आज मेले व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल मनुदेव सिनसिनी के नेतृत्व में गढ़ी सांवलदास के महंत से मिला और उनसे जनहित में जघीना रकबा स्थित अपनी गौशाला से जमीन देने का अनुरोध किया जिसे महंत ने सहर्ष स्वीकार किया।महंत जी ने तुरंत इस आशय का एक सहमति पत्र समिति को सौंपा।
उसके बाद प्रतिनिधिमंडल पशुपालन विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश कुंतल जी से मिला।जिन्होंने कहा की उनसे पूर्व जो अधिकारी थे उनके समय में पशुपालन विभाग से महाराजा जसवंत प्रदर्शनी स्थल की 17 हेक्टेयर में से 12 हेक्टेयर जमीन ले ली गई थी शेष जमीन पर सरकारी ऑफिस बने हुए हैं अतः वहां मेला लगाना मुमकिन नही है।
ज्ञात रहे की पूर्व अधिकारी योगेंद्र चाहर कह चुके हैं की उनसे यह जमीन जबरन मंत्री सुभाष गर्ग के दवाब में स्थानांतरित कराई गई।
मनुदेव सिनसिनी ने कहा मेले व ऐतिहासिक धरोहरों को बचाना सरकार और नेताओं की जिम्मेदारी है लेकिन मंत्री जी इस बेशकीमती जमीन को खुर्दबुर्द कर जनता से उनकी ऐतिहासिक विरासत को छीनना चाहते हैं।सरकारी अधिकारियों पर दवाब डालकर जमीन लेने के पीछे उनकी कुत्सित मानसिकता उजागर होती है। भरतपुर की करीब 10 लाख जनसंख्या हर साल इस मेले का इंतजार करती है और दूर दूर से आने वाले व्यापारियों से अपने घर को चलाने हेतु सामान खरीदती है।
और तो और इस मेले से और यहां लगने वाली पशु हाट से हर साल विभाग को करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है। यह मेला राज्य सरकार द्वारा चलाए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ तीन मेलों में गिना जाता है।
मनुदेव सिनसिनी ने कहा इस जमीन को वापस पशुपालन विभाग को नही दिए जाने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।कल से आंदोलन को धार देने हेतु रणनीति बनकर आमजन और व्यापारियों को इसमें जोड़कर बहुत बड़ा आंदोलन किया जाएगा।