भीलवाड़ा| माण्डलगढ़ उपखण्ड के माकड़िया ग्राम में सुविचार अभियान (सुरभि विहार चारागाह रक्षण अभियान) के तहत तैयार किए गए चारागाह मॉडल ने जिले के चार विधायकों को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में इसी तर्ज पर चारागाह विकसित करने का संकल्प लिया।
भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा के नेतृत्व में विधायक गोपाल खंडेलवाल, लादू लाल पितलिया, उदयलाल भड़ाना एवं गोपीचंद मीणा ने माकड़िया गांव पहुंचकर इस मॉडल का गहन अवलोकन किया। विधायकों ने चारागाह के संरक्षण और विकास के कार्यों की सराहना करते हुए इसे एक स्थायी और पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकरणीय पहल बताया।
सुविचार अभियान के विनोद मेलाना ने बताया कि माकड़िया ग्राम के चारागाह क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए विशेष उपाय किए गए हैं। यहां कंटूर ट्रेंच तकनीक अपनाई गई है, जिससे वर्षा जल कई बार भरकर भूमि में समा जाता है। इसके अलावा पहाड़ी जल प्रवाह क्षेत्र में चेक डैम बनाए गए हैं, जो बहकर आने वाली मिट्टी को रोकते हैं और मृदा क्षरण से क्षेत्र की रक्षा करते हैं। इसी के साथ नाड़ियों (छोटे जल संचयन कुंड) का निर्माण कर वर्षा जल को रोकने की व्यवस्था की गई है। स्थानीय वृक्षों का रोपण कर यह सुनिश्चित किया गया है कि वृक्ष बिना अतिरिक्त सिंचाई के जीवित रहें।
चारागाह में 8 प्रकार की चारे की प्रजातियों के बीज बोए गए हैं, जिससे वर्षा काल में क्षेत्र हरा-भरा हो जाता है। सुरक्षा के लिहाज से क्षेत्र के चारों ओर स्थानीय पत्थरों से मजबूत कोट (बाउंड्री) का निर्माण किया गया है, जो इस पहल को पूर्ण रूप से टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाता है।
चारागाह क्षेत्र के अवलोकन के पश्चात विधायक मंडल ने गांव में ही बैठक कर निर्णय लिया कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में इसी प्रकार के चारागाह विकास मॉडल को लागू करेंगे। उन्होंने इसे न केवल पर्यावरण की दृष्टि से लाभकारी बताया बल्कि ग्रामीण आजीविका, पशुधन पोषण और जल-संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर कहा। इसके बाद विधायक दल ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर कलक्ट्रेट कार्यालय में इस मॉडल की गंभीरता से मंत्रणा की और इसे क्रियान्वित करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
सहयोगी संस्थाओं की उल्लेखनीय भूमिका
इस प्रेरणादायी पहल में सुविचार अभियान, सरोज देवी (एस.डी.) फाउंडेशन, अपना संस्थान, एफईएस संस्थान, तथा गोयल ग्रामीण विकास संस्थान, कोटा की संयुक्त सहभागिता रही है। कार्यक्रम में प्रांत कार्यवाह डॉ. शंकर लाल माली, भीलवाड़ा विभाग के सुविचार अभियान सहप्रमुख सूर्यप्रकाश शर्मा, एफईएस संस्थान के शांतनु रॉय सिन्हा, कार्डिनेटर वंदना स्मेम्बल, राजेश रंजीत टेटे, सुनील कुमार, मयूर बलाई, नरेंद्र सिंह सहित कई प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
पर्यावरणीय संकट का समाधान, चारागाह मॉडल
भीलवाड़ा जिले की जलवायु, पशुधन पर निर्भरता और मानसून आधारित कृषि को देखते हुए माकड़िया मॉडल आने वाले समय में सतत विकास का प्रतीक बन सकता है। चारागाहों का वैज्ञानिक विकास न केवल पशुओं के लिए चारे की समस्या हल करेगा, बल्कि जैव विविधता, जल संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा।