गणपति हुए घरों व मंदिरों में विधि विधान से स्थापित, मोदक का लगाया भोग
10 दिवसीय गणेशोत्सव प्रारम्भ, डांडिया खेला और गणपति के गीतों पर किया नृत्य
भीलवाड़ा। शहर समेत जिलेभर में शनिवार को शुभ मुर्हूत में भगवान गणपति घरों, पांडालों व मंदिरों में विराजित हुए। गणेश महोत्सव आयोजन समितियां ढोल नगाड़ों के साथ शुभ मुहूर्त में भगवान गणपति को गणपति बप्पा मोरिया के उदघोष के साथ नाचते-गाते पांडाल तक लाई। इसके बाद उन्हें विराजित कर स्थापना के बाद महाआरती कर लड्डूओं का भोग लगाया गया। घरों में भी गणेश उत्सव की धूम शुरू हुई गणेश जी के आगमन को लेकर रंग- बिरंगे फूल, विद्युत सजावट और अन्य आकर्षक सजावट की गई। गणपति को स्थापित कर पूजा अर्चना के बाद पारंपरिक मिठाई, लड्डू आदि का भोग लगाया। शहर में मुख्य रूप से गांधीनगर गणेश मंदिर, रोडवेज बस स्टैंड गणेश मंदिर, संजय कॉलोनी में रोकडिय़ा गणेश मंदिर, काशीपुरी में खाटू श्याम के पास गणेश मंदिर में भगवान का भव्य श्रृंगार करने के बाद आरती कर प्रसाद वितरण किया गया। हरिशेवा धाम में महामंडलेश्वर हंसराम ने गणपति पूजन किया। गांधीनगर गणेश मंदिर में दोपहर बाद मेला शुरू हुआ। गणपति के दर्शन के साथ ही मेले का आनंद लेने के लिए दोपहर बाद बड़ी संख्या में जिलेवासी गांधीनगर पहुंचना शुरू हो गए। रोकडिया गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में भगवान को छप्पनभोग लगाया गया। समिति के सचिव प्रहलाद गर्ग ने बताया कि पूजा अर्चना के बाद छप्पनभोग का प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर अध्यक्ष प्रेम प्रकाश शाह समेत सैकड़ों की संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
दुल्हन की तरह सजाए गए पांडाल
गणेश महोत्सव आयोजन समितियों ने भगवान गणपति को विराजित करने के लिए पांडालों को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पांडालों व घरों में शनिवार सुबह गणपति की मूर्ति की स्थापना के साथ ही गणेश उत्सव का शुभारंभ हुआ। शाम को पंडालों में डांडिया पर युवक युवती गरबा के रंग में रंगते नजर आए। पंडालों में व्यवस्था बनाए रखने व सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पंडालों के पास पुलिस बल की तैनाती, ट्रैफिक व्यवस्था और अन्य सुरक्षा उपायों किए गए है।
सांस्कृतिक और मनोरंजन कार्यक्रम
गणेश उत्सव के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी बड़े धूमधाम से किया जाएगा। कई जगह भजन संध्या, नृत्य, संगीत, और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां पंडालों में होगी। ये कार्यक्रम श्रद्धालुओं को न केवल धार्मिक अनुभव प्रदान करने के साथ मनोरंजन का साधन बनेंगे। अनंत चतुर्दशी को विशाल जुलूस के साथ मूर्तियों का विसर्जन होगा।