गंगाजल कलशमय हुआ लिमथान


सनातन का कोई सानी नहीं- उत्तम स्वामी

शिखर प्रतिष्ठा के साथ 101 कुण्डिय विष्णु महायज्ञ की पूर्णाहुति

बांसवाड़ा| ‘धर्मो रक्षति रक्षितः।’ जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म रक्षा करता है। यह बात महामंडलेश्वर ध्यानयोगी उत्तमस्वामी महाराज ने लिमथान गांव में आयोजित गंगाजल कलश यात्रा के उपरांत धर्म सभा में कही। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और हम एक दूसरे से अलग-अलग नहीं है। इसका कोई सानी नहीं है।।जो धर्म की रक्षा करेगा धर्म उसकी रक्षा करेगा। वर्तमान काल में हिंदुओं को एकजुट होना होगा और इस प्रकार के अनुष्ठान समाज में नई ऊर्जा का संचार करते हैं। उन्होंने विप्र फाउंडेशन से आह्वान किया कि‌ लिमथान में यह आयोजन प्रतिवर्ष करें जिससे कि सनातन धर्म की गतिविधियों को और अधिक बल मिले। पिछले चार दिनों से लिमथान में संचालित विष्णु महायज्ञ में लाखों आहुतियों से समूचा परिसर हविमय हो उठा। सर्व सनातन समाज के सहयोग और विप्र फाउंडेशन के द्वारा आयोजित 101 कुंडीय विष्णु में श्रीफल होम के साथ पूर्णाहुति हुई। अक्षय तृतीया परशुराम जयंती से लेकर शंकराचार्य जयंती तक चले इस अनुष्ठान में सनातन समाज के विराट स्वरूप के दर्शन हुए। जिले के सभी समाजों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। सभी ने अपने अपने सामर्थ्य अनुसार सहयोग भी किया। इस मौके पर वन राज्य मंत्री संजय शर्मा ने दोनों मंदिरों में पूजा अर्चना की। इस मौके पर पूर्व केबिनेट मंत्री महेन्द्रजीतसिंह मालविया पूर्व मंत्री धनसिंह रावत भाजपा जिलाध्यक्ष पूँजीलाल गायरी प्रधान बलवीर रावत लिमथान सरपंच लक्ष्मण निनामा, सियापुर सरपंच विट्ठल भाई डामोर सहित बड़ी संख्या में जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे। आरम्भ में विप्र फाउंडेशन के प्रदेश महामंत्री योगेश जोशी जिलाध्यक्ष ललित जोशी प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र पालीवाल प्रदेश महामंत्री राजेश पालीवाल महिला प्रदेश मंत्री कीर्ति आचार्य, कामिनी नागर, दक्षा उपाध्याय, शशि कुमार शर्मा, भारतसिंह पटेल बोदला, गौतम भाई सियापुर सहित बड़ी संख्या में सर्व समाज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विनोद पानेरी ने किया। आभार परशुराम सेवा संस्थान के संयोजक महेश जोशी ने व्यक्त किया। *गंगाजल कलश यात्रा में आस्था की हिलोर इस धार्मिक महा अनुष्ठान में शुक्रवार को लगभग 5108 महिलाओं ने कलश यात्रा के साथ शोभायात्रा निकाली। इस शोभायात्रा में आस्था का ज्वार हिलोरे ले रहा था। लगभग तीन किलोमीटर लम्बी कतार की भव्यता देखते ही बनती थी। महायज्ञ के संयोजक विनोद पानेरी ने बताया कि शोभायात्रा मंदिर के निकट बह रही नदी पर पहुंची जहां पर आचार्य पंकज जोशी के निर्देशन में पूजन अर्चन और गंगा मैया का आह्वान कर कलश भरवाए गए। यज्ञ के संरक्षक स्वामी विवेकानन्द महाराज के सानिध्य में हुए आयोकन में सभी महिलाओं ने सिर पर कलश धारण कर शोभायात्रा ने मंदिर की ओर प्रस्थान किया। विभिन्न धार्मिक गीतों की ध्वनि के बीच महिलाएं कम से कम मिलते हुए शोभायात्रा के रूप में मंदिर पहुंची यह शोभायात्रा विशाल धर्म सभा में परिवर्तित हुई। आचरण में उतारे धर्म गंगोत्री से आए हुए संत रामदास महाराज ने गंगाजल कलश यात्रा से पूर्व सभी महिलाओं का पाद पूजन किया। अक्षत कुमकुम द्वारा सभी महिलाओं को तिलक लगाने के साथ ही उनका पद पूजन भी किया गया। संत रामदास महाराज ने कहा कि हमें अपने कार्यों द्वारा सनातन धर्म को आपस में जोड़े रखता है इसके लिए हमें अपने आचरण में धर्म में बताए गए मार्ग पर चलना होगा,जो स्पष्ट दृष्टिगोचर भी होना चाहिए।

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