सारी सृष्टि का संचालन प्रभु ही करते हैं, दिखाई नहीं देते


राम सीता विवाह का बखान किया बेटी की विदाई मैं सब कुछ दे लेकिन संस्कार अवश्य दें : आचार्या आराधना देवी

गंगापुर सिटी। पंकज शर्मा। श्री राम कथा सेवा समिति के तत्वाधान किरण पैलेस में चल रही राम कथा में शष्ठम दिवस बुधवार को परम पूज्य आचार्या आराधना देवी के मुखारविंद से जनकपुर में राम जानकी विवाह उत्सव का बखान संगीतमय वाणी से सुनते हुए कहा कि श्री राम जब शिव धनुष को प्रणाम कर उठाया तो चारों ओर प्रकाश फैल गया और एक पल में शिव धनुष टूट गया। सारी सृष्टि का संचालन प्रभु ही करते हैं लेकिन दिखाई नहीं देते प्रभु की लीला पलक झपकते ही हो गई। साध्वी ने कहा कि राजा जनक द्वारा महाराज दशरथ जी को निमंत्रण भेजा गया। राजा दशरथ के परिवार सहित आगमन पर गुरु विश्वामित्र ने महाराजा जनक से सीता सहित चारो पुत्रीऔ का विवाह दशरथ के चारों पुत्रों से करने का प्रस्ताव रखा। जिस पर महाराजा जनक ने सहर्ष स्वीकार किया और राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चारों भाइयों का विवाह जनक की चारों पुत्रीऔ से संपन्न हुआ।

साध्वी द्वारा शिव धनुष से जुड़ी सीता माता की बचपन घटनाओं का चित्रण बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। साध्वी द्वारा राम लक्ष्मण सहित चारों भाइयों से जानकी माता की सखियों के आमोद प्रमोद का बखान मधुर संगीत के साथ किया। जब विदाई का समय आया तो माता जानकी अपने पिता जनक से विदा लेने पहुंची। तब महाराज जनक जो वैराग्य और ज्ञान से परिपूर्ण थे। भावुक हो गए और नैनो से अंशु धारा निकलने लगी। माता अनसूया ने सीता को समझाते हुए कहा कि हमने जो संस्कार दिए हैं। उन्हें मत भूलना और बड़ों का कहना मानकर माता-पिता की सेवा करना।

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साध्वी ने कहा कि बेटी को विदा करते समय हम सब कुछ देवें। बेटी मांगे वह दे, लेकिन संस्कार अवश्य दें। जनकपुर से विदा होकर महाराजा दशरथ चारों पुत्र और पुत्रबधुओ के साथ अयोध्या नगरी पहुंचे। जहां माता कौशल्या, माता कैकई, माता सुमित्रा, सहित नगर वासियों ने स्वागत किया और अयोध्या में उत्सव मनाया जाने लगा।

इस मौके पर राम जानकी की संजीव झांकी सजाकर संगीतमय वाणी से भजन प्रस्तुत किया। जिस पर श्रोताओं ने नाचते गाते श्री राम सीता की झांकी के दर्शन किए। श्री राम कथा आयोजन के सहसंयोजक लक्ष्मी नारायण प्रॉपर्टी, सतीश पीलोदा ने बताया कि श्री राम कथा के सप्तम दिवस गुरुवार को श्री राम वन गमन, केवट प्रसंग, भारद्वाज संवाद, गुरु वाल्मीकि प्रसंग, चित्रकूट निवास, भरत मिलाप, पंचवटी लीला, सीता हरण की कथा होगी।


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