भक्तों के विशेष प्रेम के कारण अवतरित होते हैं भगवान
रीको औद्योगिक क्षेत्र गंगापुर सिटी मैं चल रही प्राण प्रतिष्ठा एवम श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में आज मूर्तियों मिष्ठान्न आदिवास आचार्य जी त्रिलोक जी के सानिध्य में सभी भक्तों ने पूर्ण आनंद से किया एवम पूज्य श्री पुष्पमुरारी बापू जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा में चतुर्थ स्कंध में ध्रुव जी महाराज का चरित्र आया ध्रुव जी ने मात्र 6 वर्ष की आयु में भगवान को पा लिया मानव भागवत कथा हमें यह सिखाती है कि यदि हमें ईश्वर को पाना है तो उसमें उम्र का महत्व नहीं होता है बल्कि भाव और आपके प्रेम का महत्व होता है यदि आपने सच्चे मन से ईश्वर को याद किया और आप का भाव पवित्र है मन पवित्र है तो भगवान भी मिलने में देर नहीं लगाते हैं तत्क्षण भगवान आपको अपनी शरण में ले लेता है ध्रुव जी महाराज की चरित्र से एक शिक्षा हमें यह भी मिलती है कि हम भी अपने बच्चों को छोटे से ही संस्कारित करें ईश्वर की कथाओं से जुड़े और ईश्वर से प्रेम करना सिखाए बापूजी ने कहा कि पंचम स्कंध में जड़ भरत की कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक भूल के कारण जड़ भरत जी को 3 जन्म अधिक लेना पड़ा लेकिन परमात्मा के श्री चरणों में उनका प्रेम बना रहा जिसके कारण तीन जन्म के पश्चात भी वह मुक्त हो गए बाद में बामन भगवान और राम अवतार की कथा सुनाते हुए श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया बापूजी ने कहा कि जिस प्रकार दूध में दही छिपा रहता है सिर्फ उसको प्रकट करना होता है उसी तरह भगवान पूरे संसार में व्याप्त है भक्तों की प्रेम से उनको प्रकट किया जाता है जब जब मां देवकी और वसुदेव जी ऐसा प्रेम किसी के अंदर होता है ईश्वर को बुलाना नहीं पड़ता वह स्वयं अवतरित हो जाते हैं कथा में श्रोताओं की अपार भीड़ के साथ पूरा मैदान भरा हुआ था और श्रोताओं का अपार प्रेम कथा के प्रति देखने को मिला कल कथा के माध्यम से सुंदर सुंदर भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की कथा का रसपान और गिरिराज गोवर्धन की पावन लीला की कथा का रसपान कराया जाएगा