शाहपुरा, पेसवानी। श्री प्रताप सिंह बारहठ राजकीय महाविद्यालय, शाहपुरा एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में वैश्विक संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरारू अंतर्दृष्टि और नवाचार विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ हुआ।
कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे मुख्य अतिथि रहे, जबकि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता एवं राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने अपने संबोधन में कहा कि भारत अपनी पुरातन मान्यताओं एवं आदर्शों के बल पर मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना करके अपने प्राचीन गौरव को पुनः प्राप्त कर सकता है। उन्होंने रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवत गीता में निहित ज्ञान एवं महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों के दिव्य संदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति में इन मूल्यों को आत्मसात करना अत्यंत आवश्यक है।
महासंघ के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने अपने उद्बोधन में भारत की विश्वगुरुता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन ज्ञान पद्धति का अंगीकार करके ही भारतीय अस्मिता एवं चेतना को पुनः जागृत किया जा सकता है। उन्होंने संगोष्ठियों को बौद्धिक विमर्श से आगे बढ़ाकर भारतीय मूल्यों के पुनर्स्थापन का माध्यम बनाने पर बल दिया।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ने शिक्षा में नवाचार और भारतीय सांस्कृतिक विचारों के प्रचार-प्रसार में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षक ही भारतीय ज्ञान परंपरा के वास्तविक संवाहक हैं।
महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संगोष्ठी संरक्षक डॉ. पुष्करराज मीणा ने शाहपुरा के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बारहठ बंधुओं के बलिदान को नमन किया। इस अवसर पर राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की एवं संगोष्ठी स्मारिका का विमोचन किया।
वॉल ऑफ नॉलेज की जानकारी डॉ. पंकज चांडक एवं दिनेश शर्मा ने राज्यपाल को दी। संगोष्ठी संयोजक डॉ. हंसराज सोनी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ऋचा अगिरा ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं एवं विद्वानों ने भाग लिया और भारतीय ज्ञान परंपरा एवं शिक्षा नीति पर गहन विचार-विमर्श किया।