गुरुद्वारे में कीर्तन दरबार और लंगर का हुआ आयोजन
नदबई के गुरुद्वारा नानक दरबार में सोमवार रात को श्री गुरु अंगद देव जी महाराज का प्रकाश पर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया। इस पावन अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें भारी संख्या में संगत ने भाग लिया और गुरु महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया।
गुरुद्वारा के ग्रंथि भाई हरबंस सिंह खालसा ने जानकारी देते हुए बताया कि, सोमवार रात को विशेष कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया, जिसमें मधुर शबद कीर्तन प्रस्तुत कर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया गया। कीर्तन दरबार के उपरांत अरदास की गई और समस्त संगत के कल्याण की कामना की गई। इसके बाद आलू-पूड़ी और खीर का विशेष लंगर वितरित किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने प्रेमपूर्वक भाग लिया।
भाई हरबंस सिंह खालसा ने श्री गुरु अंगद देव जी महाराज के जीवन और शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, गुरु अंगद देव जी का जन्म सन् 1504 ईस्वी में हुआ था। उनका बचपन का नाम भाई लहना था। एक बार संयोगवश उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी का एक भजन सुना, जिससे वे इतने प्रभावित हुए कि गुरु नानक देव जी से मिलने का निश्चय किया। गुरु नानक देव जी से प्रथम भेंट के बाद उनका जीवन पूरी तरह परिवर्तित हो गया और उन्होंने अपना सर्वस्व गुरु चरणों में समर्पित कर दिया।
भाई हरबंस सिंह ने आगे बताया कि, श्री गुरु अंगद देव जी ने गुरुमुखी लिपि का सृजन किया और गुरु नानक देव जी की जीवनी का संकलन भी किया। सिख धर्म के प्रचार-प्रसार में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने लंगर व्यवस्था को संगठित रूप देकर उसे समाज सुधार का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया। उनकी निष्ठा और समर्पण को देखकर गुरु नानक देव जी ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर “गुरु अंगद देव” नाम प्रदान किया। कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी ने उन्हें गुरु बनाने से पहले सात कठिन परीक्षाएं लीं, जिन्हें उन्होंने पूर्ण श्रद्धा और समर्पण से उत्तीर्ण किया।
इस मौके पर गुरमीत सिंह, विनोद मेंहदीरत्ता, वरुण तनेजा, कृष्णा सहगल, घनश्याम सहगल, प्रणव सहगल, जीते,मीते समेत बड़ी संख्या में संगत उपस्थित रही।