ऋतेश्वर महाराज ने गुरु अमृतवाणी के दौरान वरिष्ठ नागरिक मंच एवं पेंशन एसोसिएशन सदस्यों को किया सम्बोधित
भीलवाडा। आत्मज्ञान के लिए गुरु के प्रति श्रद्धा का होना बड़ा आवश्यक है। गुरु के प्रति श्रद्धा होने से गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान शिष्य के हृदय में उतरने लगता है, अन्यथा श्रद्धा के बिना वह ज्ञान, शब्दों के रूप में बुद्धि में इकट्ठा हो जाता है। सद्गुरु वह प्रकाश है, जिसकी राह में मानवता, परोपकार, सद्विचार और संस्कार जन्म लेता है। यह कहना है श्री आनंदधाम पीठ वृंदावन के सदगुरु ऋतेश्वर महाराज का। महाराज का भीलवाड़ा में कोटा रिंग रोड स्थित ऑरिका रिसोर्ट में पांचवें दिन दोपहर को गुरु अमृतवाणी के दौरान वरिष्ठ नागरिक मंच एवं पेंशन एसोसिएशन सदस्यों को सम्बोधित कर रहे थे। महाराज ने कहा कि जो है उसमें खुश रहे, जो है उससे अच्छा जिओ, गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा रखो गुरु ही है तारणहार होता है। गुरु वह होता है कि जो सतमार्ग की ओर चलाए। आयोजन कर्ता महेश कुमार लढ़ा ने बताया कि अससे पुर्व ऑरिका रिसोर्ट से प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। जो ईरास चैराहे स्थित बाजाजी मंदिर व ईरास ग्राम के चारभुजा नाथ मंदिर होती हुई वापिस ऑरिका रिसोर्ट पर सम्पन्न हुई। जिसमें सेकडो की संख्या मे श्रृद्वालुओ ने भाग लिया। इस दौरान आयोजन कर्ता महेश कुमार लढ़ा ने पूरे भारत में प्रभात फेरी वालों को वाद्य यंत्रों की जरूरत पड़ेगी, तो उन्हें निःशुल्क उपलब्ध कराने कि घोषणा की। लढा ने बताया कि जल्दी इसकी वेबसाइट भी लॉन्च होगी। आयोजन समिति के त्रिलोक सोमाणी ने बताया कि पांच दिवसीय आयोजन के पश्चात गुरूवार को श्रृद्वालुओ द्वारा हर्षोल्लास के साथ श्री आनंदधाम पीठ वृंदावन के सदगुरु ऋतेश्वर महाराज व उनके शिष्यों को भाव-भीनी विदाई करायेगे। इस दौरान कैलाश लढ़ा, महेश कुमार लढ़ा, अशोक मुन्द्रड़ा, मुकेश बहेडिया, गौतम कोगटा, सुधीर सोनी, रोहित तिवारी, अन्तिम लढ़ा, अंकिता कोगटा, लीला सोमानी सहित मौजूद थे।