राम नवमी पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ, इस पावन अवसर पर टीकम ‘अनजाना’ की एक रचना


भगवान राम जी की कृपा सभी पर बनी रहे

हम सभी में बसे हैं राम

मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम।
ईश्वर अल्लाह गॉड वही, जो चाहे सो दे दो नाम॥

अमेरिका इंग्लैंड चीन जापान, सर्वत्र बसे मेरे राम
वे नहीं सिमटे सिर्फ़, वेटिकन काबा अयोध्या धाम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

चींटी चिड़िया हिरण हाथी, मीन मनुज सभी में राम
वे जीवन के दाता, अंत उन्हीं में सब करें विश्राम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

मंदिर मस्जिद गिरजाघर, सर्वत्र विराजे मेरे राम
शिला सागर सितारे, अंतरिक्ष भी उनका परिणाम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

इंद्रधनुष भी रंग उसी का, श्वेत श्याम भी मेरे राम
जन्म ज़िंदगी और मृत्यु, तीनों ही उन्हीं के काम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

अगम अगोचर अविनाशी, सत्य सनातन मेरे राम
वही प्रीत का दरिया, आदिकाल से बहे अविराम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

जीव निर्जीव क्या जड़ चेतन, सभी में बसे मेरे राम
वही दुग्ध की धारा है, एक वही अमृत का जाम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

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दृष्टा वही है सृष्टा वही है, आदि अनादि मेरे राम
दिन उसी से रात उसी से, वही सवेरा वही है शाम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

गुलों में ख़ुशबू चकमक में आग, बनके बसे मेरे राम
अमन अहिंसा भाईचारा, मानवता है उनका पैग़ाम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

अंतरिक्ष के अभियंता राम, ब्रह्मांड के नियंता राम
विरल अविरल भी वे, अदृश्य अनुभूति वे अभिराम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

अनल में राम अनिल में राम, बसे हैं सलिल में राम
बाइबल क़ुरआन रामायण, ये सभी उसके कलाम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥

नानक कबीर रैदास ने, अपने ही घट में पाया राम
बाहर कहीं मिला नहीं, कोशिशें व्यर्थ हुईं तमाम।
मुझ में राम, तुझ में राम, हम सभी में बसे हैं राम॥


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