भरतपुर, 7 मार्च। थैलेसीमिया व हीमोफीलिया जागरूकता एवं स्वैच्छिक रक्तदान प्रोत्साहन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. नागेंद्र भदौरिया ने वेलकम की नोट प्रस्तुत करके कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया।
उन्होंने थैलेसीमिया व हीमोफीलिया के लिए जागरूक रहने पर बल दिया साथ ही उन्होंने इन बीमारियों के लक्षण व बचाव एवं इन लोगों को किस प्रकार से सावधानी बरतनी चाहिए के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. प्रवीण धाकड़ एवम एचओडी पैथोलॉजी मेडिकल कॉलेज डॉ. मनीष सिंघल ने स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आमजन को प्रोत्साहित किया। उन्होेंने बताया कि एक रक्तदान से हम तीन मरीजों की जान बचा सकते हैं रक्तदान करना चाहिए इससे समाज में समरसता को बढ़ावा मिलने के अलावा किसी की जिंदगी भी बचाई जा सकती है रक्तदान को लेकर लोगों में काफी भ्रांतियां हैं उसको दूर करने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ।
इस दौरान ब्लड सेल ऑफिसर संभाग भरतपुर पवन कुमार ने समय-समय पर रक्तदान करने से होने वाले लाभ पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर से रक्त विकार से संबंधित अनुवांशिक बीमारियों के मरीजों के लिए निशुल्क दवाएं जांच, इलाज के साथ दिव्यांगता एक्ट के लाभ और राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में डे केयर सेंटर की सुविधा, फैमिली प्लैनिंग काउंसलर फील्ड ऑफिसर, फील्ड सहायक आदि का समय-समय पर प्रशिक्षण करवाना विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों में जागरूकता पैदा कर इस तरह की बीमारी को फैलने से रोकने के संबंध में राज्य के प्रयासों की काफी विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने बताया कि इस तरह के मरीजों के इलाज के लिए अभी भी काफी हद तक रक्त पर ही निर्भर रहना पड़ता है। रक्तदान महादान की उक्ति इस तरह की बीमारी और आपातकालीन आवश्यकताओं के लिए ही है चरितार्थ है इस अवसर पर डॉ. भूपेंद्र गर्ग, परामर्शदाता संजुबाला शर्मा, विष्णु चौरसिया, डॉ. पुनीत ओझा, डॉ. मनीष सिंघल, स्वैच्छिक रक्तदाता संस्थाएं धर्म जाति आधारित संगठनों के प्रतिनिधि मैरिज ब्यूरो एवं मीडिया प्रतिनिधि के साथ थैलेसीमिया एवं हीमोफीलिया के मरीज भी कार्यशाला में उपस्थित रहे। ब्लड सेल ऑफिसर पवन कुमार ने बताया कि मैरिज ब्यूरो विवाह रजिस्ट्रेशन कराने वाली सोशल मीडिया साइट धार्मिक ग्रुप जातिगत सामाजिक ग्रुप शादी की कुंडली मिलाने के साथ साथ ही लड़के एवं लड़की की थैलेसीमिया हीमोफीलिया की जांच कर यह सुनिश्चित करें कि उन्हें इस बीमारी के लक्षण तो नहीं है जिससे उन से उत्पन्न होने वाली संतान को सुरक्षित किया जा सके।
जानें क्या है हीमोफीलिया
डॉ. भूपेंद्र कौशिक मेडिसिन विभाग ने बताया कि हीमोफीलिया अनुवांशिक रोग है जिसमें शरीर के अंदर और बाहर बहता हुआ रक्त रुक नहीं पाता है इसके कारण यह चोट व दुर्घटना में जानलेवा साबित होती है इस बीमारी में खून का थक्का जमाने वाले फेक्टर 8 फेक्टर 9 या फिर फेक्टर 7 और फेक्टर-11 आदि की कमी हो जाती है जिससे शरीर के भीतरी या बाहरी हिस्सों में खून का रिसाव होने लगता है रिसाव के चलते हाथ पैर के जोड़ घटाव होने लगते हैं रिसाव रोकने के लिए ऊपर से फैक्टर लगाए जाते हैं इससे ज्यादातर पुरुष प्रभावित होते हैं।
डॉ. हिमांशु गोयल शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त रोग है इस रोग के होने पर शरीर की हिमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिसके कारण रक्त क्षीणता के लक्षण प्रकट होते हैं इससे खून में हीमोग्लोबिन बनना कम हो जाता है जिससे पीड़ित को हर महीने खून चढ़ाना पड़ता है बार-बार खून चढ़ाने से शरीर में आयरन जमा हो जाता है जिसे कम करने के लिए दवाई खानी पड़ती हैं उन्होंने थैलेसीमिया से बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा कर समस्त प्रतिभागियों को लाभान्वित किया। सभी स्वैछिक रक्तदाता प्रतिनिधियों को सम्मानित किया।