Holika Dahan: होलिका दहन 13 मार्च को, जाने होलीका दहन का शुभ मुहूर्त और महत्व


Holika Dahan: हिंदू धर्म में कई प्राचीन व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से होली को सबसे प्राचीन पर्व माना जाता है। खुशियों के इस त्यौहार का संबंध भगवान श्री कृष्ण और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है। होली पर्व के दिन देशभर में गुलाल और अबीर से रंगो की होली खेली जाती है और रंगोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंगो के इस पवित्र त्योहार को वसंत ऋतू का संदेशवाहक भी माना जाता है। वहीं देश के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को कई नाम एवं तरीकों से मनाया जाता है। जिनमें फगुआ, धूलंडी मुख्य है। खास बात यह है ब्रज में होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है और उसी दिन से गुलाल से होली खेली जाती है। फाल्गुन मास में इस पर्व को मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी के नाम से भी जाना जाता है।

जाने होली दहन का शुभ मुहूर्त

होली का पर्व 13 मार्च 2025 गुरुवार प्रदोषव्यापिनी हुताशिनी पूर्णिमा को मनाया जाएगा। पंडित मोहनाचार्य मंदिर बराह अवतार वालों ने बताया कि इस दिन प्रात काल 10:36 से रात्रि 11:27 तक भूमिलोक की भद्रा रहेगी। जो समस्त कार्यों त्याज्म है। क्योंकि यह अशुभ फल प्रदान करती है। पंडित मोहनाचार्य ने बताया कि इसलिए होलिका दहन का शुभ समय रात्रि 11:28 से मध्य रात्रि 12:15 तक श्रेष्ठ रहेगा। अतः रात्रि 11:30 बजे बाद होलिका दहन किया जाएगा। जो शास्त्र सम्मत है। इसी प्रकार धूलंडी पर्व दिनांक 14 मार्च 2025 शुक्रवार को एवं भाई दूज दिनांक 16 मार्च 2025 रविवार को मनाई जाएगी। दौज पूजने का सही समय प्रातः 8:30 से दोपहर 12:40 तक श्रेष्ठ रहेगा।

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होलिका दहन का महत्त्व 

जहाँ से होली का त्योहार आरन्भ हुआ। प्रह्लाद एक छोटा बच्चा था जिसकी ईश्वर में गहन आस्था थी, परंतु उसके पिता एक नास्तिक व्यक्ति थे। उसका पिता घमंड से चूर तथा निर्दयी राजा था, जो इस बात से बहुत दुखी था कि उसका पुत्र परमात्मा का नाम लेने का उपदेश देता था और इसके लिए वह पुत्र को सबक सिखाना चाहता था।

उसने अपने पुत्र में परिवर्तन लाने के लिए अनेक उपाय किए परंतु वह सफल नहीं हुआ। जब वह उसे परिवर्तित नहीं कर पाया तो उसे मारना चाहता था। इसके लिए वह अपनी बहनों में से एक बहन, होलिका के पास गया। होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह जिस किसी को भी अपनी गोद में ले कर अग्नि में बैठ जायेगी, वह व्यक्ति जल कर भस्म हो जाएगा। इस कथा के अनुसार होलिका प्रह्लाद को जलाने के लिए उसे गोद में ले कर अग्नि कुण्ड में बैठ गई। उस अग्नि में स्वयं होलिका तो जल गई किंतु प्रह्लाद सुरक्षित बाहर निकल आया, क्योंकि वह ईश्वर के प्रति समर्पित था, हरि ॐ का जाप करता रहा, जिससे अग्नि से उस बच्चे की रक्षा हुई।

 

 


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