एमओयू का उद्देश्य 1 किलोवाट इलेक्ट्रिकली रिचार्जेबल जिंक-एयर बैटरी प्रोटोटाइप विकसित करना है
भीलवाडा। वर्तमान में किये जा रहे ग्लोबल एनर्जी ट्रांजैक्शन हेतु सहयोग में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास, आईआईटी मद्रास के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य 1 किलोवाट इलेक्ट्रिकली रिचार्जेबल जिंक-एयर बैटरी प्रोटोटाइप विकसित करना है, जो सस्टेनेबल ऊर्जा समाधानों के भविष्य को आगे बढ़ाने के लिए दोनों संस्थानों की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। यह पार्टनरशीप जिंक आधारित बैटरी प्रौद्योगिकियों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसेे जिंक की प्रचुर संसाधन उपलब्धता, लागत प्रभावशीलता और स्थापित सुरक्षा रिकॉर्ड का लाभ मिलेगा। हालांकि लिथियम-आयन बैटरी वर्तमान में बाजार में प्रमुख तौर पर चलन में हैं, जिसकी उच्च लागत, सीमित संसाधन उपलब्धता और सुरक्षा संबंधी चिंताएं बड़ी चुनौती हैं, जिनका जिंक आधारित विकल्प प्रभावी रूप से समाधान कर सकते हैं। इस बारे में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा कि, “जिंक, कई उद्योगों में महत्वपूर्ण धातु है, जो ग्लोबल एनर्जी ट्रांजैक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अग्रसर है। हमारी धातु ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में लिथियम के लिए सस्टेनेबल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प प्रदान करती है। आईआईटी मद्रास के साथ पार्टनरशीप जिंक-एयर बैटरी प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान को आगे बढ़ाएगी, जो ऊर्जा भंडारण के भविष्य को फिर से परिभाषित करेगी। उनकी शोध टीम ने पहले ही एक प्रोटोटाइप रिचार्जेबल जिंक-एयर बैटरी विकसित कर ली है और लीक प्रतिरोध, एनोड रिचार्जिंग और एनोड प्रतिस्थापन डिजाइन में नवाचारों के लिए तीन भारतीय पेटेंट प्राप्त किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य अक्षय ऊर्जा, डेटा सेंटर और दूरसंचार में संभावित अनुप्रयोगों के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बढ़ाना है। अपेक्षित परिणामों पर प्रकाश डालते हुए, आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में संकाय सदस्य प्रोफेसर अरविंद कुमार चंदिरन ने कहा कि जिंक-एयर बैटरी वर्तमान ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने के लिए एक आशाजनक समाधान प्रदान करती हैं। हिंदुस्तान जिंक के साथ हमारी साझेदारी हमें जिंक-एयर बैटरी अनुसंधान में अपनी विशेषज्ञता और धातुओं में उनके उद्योग नेतृत्व का लाभ उठाने की अनुमति देती है ताकि ऐसे अभिनव समाधान विकसित किए जा सकें जो ईवी और स्थिर भंडारण प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा भंडारण प्रणाली के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रोटोटाइप का सफल विकास उन्नत बैटरी प्रौद्योगिकियों में भारत की क्षमताओं को गति देगा और क्षेत्र में आगे के नवाचारों का मार्ग प्रशस्त करेगा। जिंक-एयर बैटरी एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में उभर रही हैं, जो अपनी लंबी अवधि की भंडारण क्षमताओं, स्थायित्व और लिथियम-आयन बैटरियों के लिए अधिक किफायती विकल्प होने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं जिंक द्वारा पेश की जाने वाली स्थिर रसायन विज्ञान 1800 के दशक से व्यापक प्रचलन में है और खिलौनों, रिमोट कंट्रोल, दीवार घड़ियों आदि में रोजमर्रा के उपयोग का एक हिस्सा है। रिचार्जेबल जिंक-आधारित बैटरी में हाल की प्रगति विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार का मार्ग प्रशस्त कर रही है। यह बैटरी तकनीक लिथियम-आयन रसायन विज्ञान की तुलना में बहुत अधिक स्थिर है और वाहनों के लिए सुरक्षित है क्योंकि यह जल-आधारित इलेक्ट्रोलाइट्स का उपयोग करती है और कोई ज्वलनशील पदार्थ नहीं है। जिंक-एयर बैटरी लंबी लाइफ सायकल प्रदान करती हैं और लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में अधिक ऊर्जा दक्षता के साथ कम बिजली पर कार्य करती हैं। प्रदर्शन के मामले में जिंक-एयर बैटरी लिथियम-आयन से बेहतर हैं, जो इसे दो और तीन पहिया वाहनों के लिए भी एक आदर्श विकल्प बनाती हैं। वैश्विक स्तर पर जिंक आधारित बैटरियां एयरोस्पेस और समुद्री सहित उच्च स्तरीय रक्षा क्षेत्र, नवीकरणीय ऊर्जा और डेटा सेंटर और 5जी टेलीकॉम आदि के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में भरोसेमंद और सफल साबित हुई हैं। आईआईटी मद्रास के औद्योगिक परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान कार्यालय के डीन प्रोफेसर मनु संथानम ने सहयोग के लिए अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि,हमें इन-हाउस संसाधनों और प्रौद्योगिकियों के साथ अगली पीढ़ी की जिंक-एयर बैटरी को विकसित करने के लिए हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के साथ साझेदारी करके खुशी हो रही है। हमारी साझेदारी भारत के आत्मनिर्भर ऊर्जा के लक्ष्य को मजबूत करेगी। आईआईटी मद्रास द्वारा जिंक-एयर बैटरी तकनीक में पहले किए गए शोध से उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं, जिससे बाजार में लिथियम-आयन बैटरी की कमियों को दूर किया गया है। लिथियम-आयन बैटरी के मामले में पूरे बैटरी पैक को बदलने के विपरीत, इस्तेमाल किए गए जिंक बैटरी कैसेट पैक को हटाया जा सकता है और पूरी तरह से चार्ज किए गए पैक से बदला जा सकता है, जिससे लाभों की सूची में रिचार्जेबिलिटी जुड़ जाती है। जिंक-एयर बैटरियां हरित और किफायती होने के कारण ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में एक जबरदस्त उछाल का संकेत देती हैं। वैश्विक बैटरी उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है, जो टिकाऊ ऊर्जा भंडारण समाधानों की तत्काल आवश्यकता से प्रेरित है। ब्लूमबर्ग एनईएफ रिपोर्ट के हालिया अनुमानों के अनुसार, वैश्विक ऊर्जा भंडारण बाजार में 21 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2030 तक 442 गीगावॉट तक पहुंच जाएगा। भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में तेजी से वृद्धि के लिए भंडारण और उपयोग के लिए उन्नत ऊर्जा भंडारण समाधानों की आवश्यकता होगी। हिंदुस्तान जिंक का आईआईटी मद्रास के साथ सहयोग रणनीतिक रूप से जिंक-आधारित प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाकर इस विकास में योगदान देने पर केंद्रित है जो लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक सुरक्षित, अधिक सस्टेनेबल विकल्प का वादा करता है। आईआईटी मद्रास के साथ यह एमओयू बैटरी भंडारण क्षेत्र में हिंदुस्तान जिंक के चल रहे प्रयासों का पूरक है। हाल ही में, कंपनी ने अगली पीढ़ी की जिंक-आयन बैटरी विकसित करने के लिए जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए है। इससे पूर्व, हिंदुस्तान जिंक ने अगली पीढ़ी की निकल-जस्ता बैटरी प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता वाली यूएस-आधारित कंपनी एईएसआईआर टेक्नोलॉजीज, इंक. के साथ भागीदारी की थी। वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जस्ता उत्पादक और तीसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक है। कंपनी 40 से अधिक देशों को आपूर्ति करती है और भारत में प्राथमिक जिं़क बाजार में लगभग 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है। हिंदुस्तान जिंक को एसएंडपी ग्लोबल कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट 2023 द्वारा धातु और खनन श्रेणी में दुनिया की सबसे सस्टेनेबल कंपनी के रूप में मान्यता दी गई है।