बांसवाड़ा|श्री दिगंबर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के द्वारा आयोजित श्रमण संस्कृति शिक्षण शिविर आज पूरे भारत वर्ष में ज्ञान की गंगा को बहा रहे है।लोग धर्म के मर्म को समझने का प्रयास कर रहे है। उसी क्रम में बागड़ प्रांत में भी एक साथ 25 से अधिक स्थानों पर शिविर का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। उसी श्रृंखला में धर्मनगरी नौगामा में भी शिविर का भव्य शुभारंभ दिनांक28 मई से हुआ।जो कि दिनांक 7जून तक चला उसी के बीच परम पूज्य मुनि श्री शुद्ध सागर जी,मुनि श्री श्रीय सागर जी,मुनि श्री श्रम सागर जी, एवं क्षुल्लक जी का मंगल सान्निध्य व मंगल प्रवचन प्राप्त हुआ। जिसमें शिविर की उपयोगिता व जीवन में संस्कार का क्या महत्व है। इस विषय पर प्रकाश डाला। शिविर में दीप प्रज्वलन,शास्त्र स्थापित, ज्ञान कलश स्थापित किया गया व अज्ञान का नाश हो ऐसी भावना भाई गई।
प्रथम दिन से अंत के दिवसों तक सभी वर्ग बालक,बालिका महिला पुरुषों में एक आनंद की लहर है।। और ज्ञान की गंगा में अवगाहन करने का प्रयास है। प्रातः अभिषेक पूजन शांतिधारा भक्तामर स्तोत्र का सरल व सहज तरीके से अर्थ विद्वत अमन शास्त्री के माध्यम से बताया गया जिसमें बहुत से शिवरार्थियों की संख्या उपस्थित रहती है।बच्चों के जीवन उपयोगी नैतिक मूल्यों को बताने वाली कक्षा भी आयोजित हुई। सांयकालीन बेला में सामयिक का पाठ बड़ी भक्ति भाव से होता था। तत्पश्चात श्रावक के आचरण को बताने वाला महान ग्रन्थराज रत्नकरण्डक श्रावकाचार की कक्षा आयोजित होती थी।जिसमें सैकड़ों की संख्या में शिविरार्थियों की संख्या होती थी।
इस प्रकार सम्पूर्ण नगरी ज्ञानमय हुई
ओर सात को जून को भक्तामर, रत्नकरण्डक श्रावकाचार,भाग एक,भाग दो का पेपर हुआ। जिसमें प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को समापन के अवसर पर सम्मानित व पारितोषिक किया गया।इस प्रकार शिविर ने एक भव्य रूप लिया।इस अवसर पर श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर से पधारे विद्वत श्री अमन जैन शास्त्री,सम्यक जैन शास्त्री,संकित जैन शास्त्री,दृष्टि जैन शास्त्री का सकल दिगंबर जैन समाज नौगामा द्वारा बहुमान सम्मान किया गया ।एवं जिन भी शिवरार्थियों ने शिविर में भाग लिया उन सभी के लिए समाज द्वारा सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया। एवं सामूहिक समापन आठ जून को परतापुर में होगा जिसमें प्रथम द्वितीय आने वाले शिवरार्थियों को सम्मानित व पुरस्कृत किया जाएगा।