रात और दिन मटका बनाने में जुटे हुए हैं कुंभकार
धूप से बचने के लिए भी बनाया देसी जुगाड़
नदबई में लगातार बढ़ रही भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप ने लोगों की दिनचर्या को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। पारा 44 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है, जिससे लोग प्राकृतिक उपायों की ओर लौटने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि इस बार मिट्टी के मटकों की मांग में अचानक से भारी इजाफा देखने को मिल रहा है।
गर्मी का सीधा असर कुंभकार समाज पर भी पड़ा है, जो दिन-रात मटके बनाने के काम में जुटे हुए हैं। मिट्टी, पानी और चाक के सहारे ये कारीगर गर्मी से राहत पहुंचाने वाले मटकों को बनाने में लगे हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि गर्मी से बचाव के लिए कुंभकारों ने देसी जुगाड़ भी खोज निकाला है। वे खाट को लंबे डंडों की मदद से एक साइड से खड़ा कर उसके नीचे बैठकर मटके तैयार कर रहे हैं, जिससे वे तेज धूप से भी बच जाते हैं और काम में भी तेजी आती है।
स्थानीय कुंभकारों फूल सिंह का कहना है कि, “इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है। पहले मटके बनाने का काम सीमित था, लेकिन अब डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है। हम दिन-रात चाक पर मटके बनाते हैं ताकि लोगों को ठंडा पानी मिल सके।”
वहीं स्थानीय बाजार में मटकों की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पहले जो बड़ा मटका 60 रुपये में मिलता था, उसकी कीमत अब 80 रुपये तक पहुंच गई है। छोटी मटकी, जो पहले 30 रुपये में मिलती थी, अब 50 रुपये में बिक रही है। इस बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ताओं में थोड़ी नाराजगी जरूर है, लेकिन गर्मी से राहत पाने के लिए वे मिट्टी के मटकों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं।
कुल मिलाकर नदबई में एक ओर जहां गर्मी से जनजीवन प्रभावित है, वहीं मटका कारीगरों को इस मौसम में काम का अच्छा अवसर भी मिला है। परंपरागत शिल्प और मेहनत से तैयार किए जा रहे ये मटके, गर्मी में राहत का सबसे भरोसेमंद जरिया बनते जा रहे हैं।