एक हादसे में एएसआई की निकली जान तो दुसरे में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम गंभीर घायल

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हादसों का कारण बन रही पुलिस इंटरसेप्टर चेक पोस्ट का रहना कितना उचित

एक ही दिन में अलग-अलग हुए दो सड़क हादसे

एक हादसे में एएसआई की निकली जान तो दुसरे में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम गंभीर घायल

भीलवाड़ा- मूलचंद पेसवानी/ राजस्थान में पुलिस द्वारा बिना किसी चिन्हित स्थान के इंटरसेप्टर चेकपोस्ट लगा कर नैतिक व अनैतिक तरीके से जो कार्रवाई की जाती है, उससे होने वाले हादसों का जिम्मेदार कौन है। इस पर आज तक न तो पुलिस विचार कर पायी है तथा न ही राज्य सरकार, सरकार को पिछले पांच से पच्चीस वर्षो के आंकड़ों को लेकर यह तथ्य जुटाना चाहिए कि आखिर इंटरसेप्टर चेकपोस्ट के आस पास ही हादसे सर्वाधिक क्यों होते है। क्या हादसों का कारण चेक पोस्ट ही है। अगर यह तथ्य सही है तो पुलिस के खिलाफ भी आईपीसी की धारा में मामला पंजीबद्व होना चाहिए क्यों कि हादसें के कारणों के पीछे षड़यंत्र तो पुलिस ही है। हाल ही उदयपुर के पास भीलवाड़ा के हरि शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन की कार को पुलिस ने चेकपोस्ट पर रूकवाया। कार खड़ी थी। कार में वों स्वयं सवार थे। चालक नीचे उतरा और औपचारिकताएं पुलिस के सामने पुरी कर रहा था, इसी दौरान तेज गति से पीछे से आये अंसतुलित कंटेनर ने खड़ी कार को टक्कर मार दी। जिससे महामंडलेश्वर गंभीर रूप से घायल हो गये, जिनका उपचार चल रहा है। पुलिस ने महामंडलेश्वर की कार को रोका ओर उन्होंने रोक कर औपचारिकताएं पूरी करायी। वहीं उसी दिन बीकानेर जिले के जामसर थाने में ड्यूटी से लौट रहे एएसआई की सड़क हादसे में मौत हो गई। एएसआई सुरजाराम जांदू जामसर थाने में तैनात थे और चुनाव ड्यूटी करके बोलेरो गाड़ी में वापस लौट रहे थे। हाईवे पर एक खड़े ट्रक में उनकी बोलेरो टकरा गई, जिससे उनकी मौत हो गई थी। यहां सवाल यही बड़ा उठ रहा है कि इस इंटरसेप्टर चेक पोस्ट का निर्धारण किसने किया। क्या यह सरकार द्वारा नोटीफाई चेकपोस्ट है। क्या इसके लिए सक्षम अधिकारी ने लिखित में आदेश जारी किये। क्या आदेश के साथ इसी स्थान पर चेक पोस्ट होने से किसी भी प्रकार के खतरे की कोई आशंका नहीं है।

ढलान पर चेक पोस्ट से हादसे न होगें तो क्या

पुलिस ने अवैध तरीके से वसुली करने के लिए चेकपोस्ट ढलान पर ही कायम की है ताकि अचानक आने वाले वाहनों को ताबड़तोड़ तरीके से रोक कर उनसे वसूली की जाए। ढलान पर चेकपोस्ट को पुलिस विशेषज्ञ, सड़क निर्माण कंपनियों के विशेषज्ञ गलत करार रहे है। उनका मानना है कि चेकपोस्ट किसी भी लंबी समतल सीधी सपाट सड़क पर होनी चाहिए वो भी आबादी क्षेत्र से बाहर। आबादी के अंदर पुलिस चेकिंग तो कर सकती है पर ऐसे नहीं। जानकार सुत्रों की माने तो भीलवाड़ा हरि शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के भक्तजनों की चिंता यही है कि इस हादसे से भी सबक लेकर कोई कार्रवाई नहीं करायी गयी तो फिर कभी भी हादसे नहीं रूक सकेगें। भक्तजन अधिवक्ताओं विशेषज्ञों के माध्यम से राय को जुटा कर इस संबंध में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने पर विचार कर रहे है। इस मामले को लेकर केंद्रिय गृहमंत्री एवं केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री से पत्राचार करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की शरण भी ली जा सकती है।


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