प्रयागराज। चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए मनरेगा से जुड़े जिम्मेदार अपनी आंखें बंद कर लेते हैं। केंद्र और राज्य सरकार भले ही टैक्स से चोरी रोकने को लेकर सख्त रुख अपना रही हो लेकिन जनपद के यमुनानगर विकासखंड शंकरगढ़ में जिम्मेदारों की मिली भगत से लंबे समय से लाखों,करोड़ों का भुगतान किया जा रहा है। ब्लॉक सूत्रों की मानें तो 2017 से लगातार बिना रजिस्ट्रेशन के लगभग 25 करोड़ का अवैध भुगतान ऐसे फर्मो को किया गया है जिनका जीएसटी में रजिस्ट्रेशन ही नहीं है उन्हें भुगतान किया जा रहा है। ब्लॉक सूत्र बताते हैं की खास बात यह है कि अधिकतर अफसरों को फर्म के जीएसटी में पंजीकरण न होने की जानकारी है लेकिन फिर भी चुप्पी साधे हैं। मनरेगा के तहत कराए जाने वाले विकास कार्यों में दो तरह का भुगतान किया जाता है। निर्माण कार्य में लगने वाले मजदूरों को श्रमांश से भुगतान किया जाता है। जबकि निर्माण सामग्री का भुगतान सामग्री अंश से किया जाता है। सामग्री का कार्य करने के लिए विभिन्न फर्मो व वेंडरों को मनरेगा में रजिस्ट्रेशन कराना होता है साथ ही इसके लिए जीएसटी नंबर होना भी आवश्यक है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक उपर्युक्त ट्रेडर्स नाम की फर्म के प्रोपराइटर के अलावा इसमें पर्दें के पीछे ब्लॉक में मनरेगा सेल में तैनात कुछ कर्मचारी और सफाई कर्मी साझेदार हैं। ब्लॉक सूत्र बताते हैं कि उक्त कर्मचारी व सफाई कर्मी ने ब्लॉक में मनरेगा के जिम्मेदारों को उपहार व उपकार से उपकृत कर रखा है। इन्हीं कर्मचारियों की वजह से अफसर भी भुगतान करते समय फर्म को लेकर कोई पड़ताल नहीं करते। बड़ा और अहम सवाल यह है कि जब फर्में जीएसटी से पंजीकृत नहीं है तो फिर इसे काम किसने दिया और किसकी सह पर लगातार भुगतान भी होता रहा है। नियम के मुताबिक जीएसटी के पंजीकरण के बिना किसी भी फर्म को मनरेगा से ना तो काम दिया जा सकता है और ना ही भुगतान किया जा सकता है। जल्द ही मामले को लेकर मीडिया टीम विभागीय उच्च अधिकारियों से मिलकर जानकारी लेगी और जीएसटी में हो रहे घोटाले को लेकर निष्पक्षता के साथ अगले अंक में प्रकाशित करेगी।