शिवराजपुर से प्रतापपुर के बीच दर्जनों पुलिया निर्माण में दबंग ठेकेदार व जेई भ्रष्टाचार की गंगोत्री में लगा रहे डुबकी
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। प्रयागराज बांदा राष्ट्रीय राजमार्ग 35 पर स्थित शिवराजपुर से प्रतापपुर मार्ग पर हो रहे दर्जनों से अधिक पुलियों के निर्माण में दबंग ठेकेदार व जेई की मिली भगत से घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुलियों का निर्माण करोड़ों की लागत से कराया जा रहा है। इन पुलियों के निर्माण से पहले ही सवाल खड़े हो रहे हैं क्षेत्रीय लोगों ने इस पुलियों के निर्माण को लेकर खासी नाराजगी जाहिर की है। क्षेत्रीय जनों का कहना है कि निर्माण की गुणवत्ता तथा मानकों के मुताबिक कार्य नहीं हो रहा है जिसके चलते ठेकेदार और विभाग की मिली भगत साफ तौर पर झलक रही है। निर्माण के लिए दी गई राशि का बंदर बांट भी हो रहा है साथ ही आसपास के मजदूरों से काम नहीं लिया जा रहा है जो कि श्रम कानून का खुला उल्लंघन भी है। विभाग ने पुलियों की गहराई ढलाई और मोटाई को लेकर जो मानक तय किए हैं हकीकत में उस आधार पर नहीं बनाया जा रहा है। मामले को लेकर क्षेत्रीय जनों ने विभागीय आला अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करवाते हुए जांच की मांग की है। बताते चलें कि पुरजोर कोशिशों और मांगों के बाद रोड पुल और पुलियों की स्वीकृति होती है इसके बाद निर्माण को लेकर करोड़ों रुपयों की मंजूरी दी जाती है। लेकिन इस तरह के मामलों के सामने आने पर जहां विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से आसपास के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं तो वही निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़ा होना लाजमी है।लोगों का कहना है कि किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया जाएगा विभाग से शिकायत करना हम लोगों के अधिकार क्षेत्र में है। आगे लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व में भी इसी दबंग ठेकेदार के द्वारा शिवराजपुर से प्रतापपुर तक चौड़ीकरण रोड का निर्माण करवाया गया जो इस बात की गवाही देता है कि जमकर निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार किया गया है।और इस ठेकेदार के द्वारा पुलिया के निर्माण में भी घटिया सामग्री का उपयोग कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। धीमी गति से काम चलने के कारण रोड में उड़ रहे धूल से ग्रामीण एवं राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वन विभाग का जंगल होने से रात्रि के वक्त सफर करना लोहे का चना चबाना है। ऐसे में दुर्घटनाओं के साथ चोर उचक्को का भी भय बना हुआ रहता है। मगर आलम यह है कि ठेकेदार और जेई भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रहे हैं।