बयाना 7 सितंबर। एक शायर ने कहा है कि जिंदगी एक दरिया है जिसे तैर कर पार कर जाना है। ऐसा ही कुछ हाल है बयाना के डांग क्षेत्र के बीहड़ों में स्थित गांव परौआ के हाई स्कूल का। इस स्कूल में पढ़ने जाने वाले बच्चों को भी ऐसे ही एक दरिया नुमा रास्ते को पार करके स्कूल पढ़ने के लिए जाना पड़ता है। या फिर यूं कहें कि गांवों में आज भी स्कूली बच्चों को शिक्षा पाना इतना आसान नहीं है जितना समझा जाता है। वास्तविकता यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ाई से संबंधित ना तो पर्याप्त स्टाफ है ना संसाधन है। कई गांवों में तो स्कूलों की बिल्डिंगों की हालत खस्ता हाल है। अब रही सही कसर रास्तों ने पूरी कर रखी है। गांव परौआ के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के रास्ते में कई बार तो 3 फीट तक पानी भर जाता है । ऐसी स्थिति में स्कूल पढ़ने आने वाले शिक्षकों व पढ़ने आने वाले छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या को लेकर कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली सरकारी जनसुनवाई में संबंधित अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है किंतु अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका है। पहली कक्षा से 12 वीं कक्षा तक के इस सरकारी स्कूल में ढाई सौ से अधिक बच्चे पढ़ते बताए और स्कूल आने जाने का यही एक मात्र रास्ता बताया है।