ग्रामीणों को जल आपूर्ति के बजाय टैंकर के पानी से सिल्का सेंड कारोबारी कर रहे बालू की धुलाई

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बूंद-बूंद पानी को तरस रहे गाढ़ा कटरा के ग्रामीण सिलिका सैंड कारोबारी निगल रहे पाठा का पानी एनजीटी के आदेशों को दिखा रहे ठेंगा

प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र अंतर्गत वैध वाशिंग प्लांट के नाम पर लगभग 3 दर्जन से अधिक वाशिंग प्लांट संचालित हो रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि नाम मात्र के ही वाशिंग प्लांट वैध रूप से चल रहे हैं लेकिन इन्हीं के आड़ में लगभग 2 दर्जन से अधिक वाशिंग प्लांट अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। क्षेत्र के गाढ़ा कटरा, गढ़वा किला,कैथा लखनपुर में वाशिंग प्लांट चल रहे हैं। सिलिका सैंड की इकाइयां दिन रात जल का दोहन करके सिलिका सेंड बालू की धुलाई करती हैं। यहां तक कि शासन के द्वारा निर्धारित मानक का अनुपालन नहीं हो रहा है। बता दें कि क्षेत्र के गढ़वा क़िला व गाढ़ा कटरा के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं जलस्तर नीचे चले जाने से नलकूप सब जवाब दे चुके हैं। जिसका मूल वजह है सिल्क सेंड कारोबारियों के द्वारा दिन रात एक वाशिंग प्लांट से दूसरे वाशिंग प्लांट में ट्रैक्टर में पानी का टैंकर लगाकर सप्लाई किया जा रहा है। ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि दर्जनों ट्रेंकर ग्रामीणों को जल आपूर्ति करने के नाम पर लगाया गया है। ग्रामीणों को एक भी बूंद टैंकर का पानी नसीब नहीं होता बल्कि पूरा पानी सिल्कासेंड कारोबारी सिल्का धोने के काम में लाते हैं। पूरा पानी वाशिंग प्लांट के बड़े-बड़े तगारों में संग्रहित किया जाता है और इसी पानी से वाशिंग प्लांट में सिल्कासेंड बालू की धुलाई की जाती है। कैथा, लखनपुर व बेनीपुर के पास की नदी जो कई गांव की सिंचाई तथा पशु पक्षियों के पीने के पानी का इंतजाम करती थी उस नदी पर भी सिलका सेंड कारोबारियों की नजर लग गई और पूरी तरह से नदी के क्षेत्रफल को कब्जा कर नदी के पानी को अवैध रूप से सिल्का सेंड की धुलाई के उपयोग में ला रहे हैं। आलम यह है कि नदी अपनेअस्तित्व की लड़ाई लड़ने में इन अवैध सिलिका सैंड कारोबारियों के सामने लाचार दिख रही है। मगर जिम्मेदारों के आंख पर काठ का चश्मा व कानों में स्वार्थ की रूई ठेसी हुई है।ऐसा प्रतीत होता है जैसे इन्हें विभाग द्वारा मौन स्वीकृति प्राप्त है। यही वजह है कि शंकरगढ़ क्षेत्र में सिलिका इकाइयों द्वारा जल दोहन व जल संरक्षण के लिए स्थित नदी तालाब के जल स्रोतों पर अवैध कब्जे से जल स्तर दिनोंदिन नीचे गिर रहा है। पाठा की धरती का तल और भूतल का पानी वाशिंग प्लांटों के सिल्का सेंड कारोबारियों ने पूरी तरह जकड़ लिया है औरअवैध रूप से निगलकर हजम कर रहे हैं।जिससे प्राकृतिक जल स्रोत ताल तलैया नदी नाले झील विलुप्त होने के कगार पर है मगर जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति से इनके हौसले बुलंद हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों का खुला माखौल उड़ा रहे हैं। सरकारी तंत्र के नाक के नीचे हो रहे अवैध काम पर सभी आंख मूंद कर बैठे हैं।


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