सामाजिक समरसता के लिए अंबेडकर को पढ़ना जरूरी-प्रो. बनयसिंह


बांसवाड़ा| मामा बालेश्वर दयाल राजकीय महाविद्यालय कुशलगढ़ में बाबा साहेब डाॅ भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। सत्रारंभ के शुरुआत में भारतरत्न बाबासाहेब की तस्वीर पर‌ श्रद्धासुमन अर्पित किये गये। मुख्य वक्ता रुक्टा महामंत्री प्रो. बनयसिंह ने बाबा साहेब को शताब्दी का महानायक बताया जिन्होंने राष्ट्र को लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ-साथ सामाजिक समरसता को स्थापित करने में अमूल्य योगदान दिया।बाबासाहेब ने विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान राष्ट्र के लिए अधिनियमित किया,संविधान की मूल भावना के अनुरुप ही सबका साथ सबका विकास संभव है। विकसित भारत की संकल्पना को साकार स्वरुप देने के लिए अंबेडकर के विचारों व सिद्धांतों को आत्मसात् करना जरूरी है। प्राचार्य महेन्द्र कुमार देपन ने कहा कि अंबेडकर सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता,राष्ट्रीयता व पंथनिरपेक्षता के प्रबल समर्थक रहे। उनके विचार व आदर्श हमें शिक्षित संगठित व संघर्षरत होकर श्रेष्ठ कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रो. कन्हैयालाल खांट ने बाबा साहेब के प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से विद्यार्थियों को उनके जीवन मूल्यों को अपनाने के लिए संकल्पित किया। कार्यक्रम में सहायक आचार्य डाॅ.कमलेश कुमार मीना,प्रविन्द्र कुमार यादव,डाॅ. बलवीर सिंह,डाॅ. धर्मेन्द्र कुमार भाभोर उपस्थित रहे।


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