सनातन धर्म को समझने के लिए चाणक्य को पढ़ना आवश्यक-स्वामी रामदयाल

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‘‘चाणक्य भाव दोहे’’ -साहित्यकार विष्णुदत्त शर्मा ‘‘विकल’’ की पुस्तक का आचार्य स्वामी रामदयाल ने किया विमोचन

शाहपुरा|सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी साहित्य सृजन कलां संगम संस्थान, शाहपुरा के उपाध्यक्ष गजलकार एवं साहित्यकार विष्णुदत्त शर्मा ‘‘विकल’’ की नवकृति ‘‘चाणक्य भाव दोहे’’ पुस्तक का विमोचन रामनिवास धाम के पीठाधीश्वर आचार्य श्री रामदयाल महाराज ने रामनिवास धाम शाहपुरा में किया। विमोचन के इस अवसर पर आचार्य श्री रामदयाल महाराज ने कहा कि सनातन धर्म को समझने के लिए चाणक्य को पढ़ना आवश्यक है। आपकी यह पुस्तक पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी स्वामी रामचरण जी महाराज से ऐसी कामना करता हूँ।
साहित्य के क्षेत्र में साहित्यकार विष्णुदत्त ‘‘विकल’’ की यह दूसरी पुस्तक प्रकाशित हुई है इससे पूर्व उन्होंने एक गजल संग्रह ‘‘दर्द की लकीरें का प्रकाशन हुआ जिसे पाठकों की भरपूर सराहना मिली। इस अवसर पर साहित्य सृजन कलां संगम के अध्यक्ष जयदेव जोशी, संचिना कलां संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक, अणुव्रत संस्थान के गोपाल पंचोली, गीतकार बालकृष्ण बीरा, साहित्यकार तेजपाल उपाध्याय, गीतकार सत्येन्द्र मण्डेला, हास्य कवि दिनेश ‘बंटी’, भगवान सिंह यादव, बंशी लाल छीपा, किशनगोपाल स्वर्णकार, राधेश्याम दाधीच आदि उपस्थित थे।


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