धूप से सुगंधित हुए जिनालय, धूमधाम से मनाई सुगंध दशमी, गूजे जिनेंद्र के जयकारे

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धूप से सुगंधित हुए जिनालय, धूमधाम से मनाई सुगंध दशमी, गूजे जिनेंद्र के जयकारे

गंगापुर सिटी। सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से रविवार को सुगंध दशमी पर्व परंपरागत तरीके से धूमधाम से मनाया गया। जैन मंदिर सुगंधित धूप से महक उठे। सुगंध दशमी की पूर्व संध्या पर श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर में भजन संध्या का आयोजन किया गया। पर्यूषण पर्व में सुगंध दशमी के मौके पर जैन समुदाय के लोगों ने जैन मंदिरों में जाकर के अग्नि में धूप को समर्पित किया। अष्ट कर्मों के नाश की जिनेंद्र भगवान से प्रार्थना की। इस मौके पर महिलाओं ने निर्जला उपवास किया। जिला मुख्यालय के आदिनाथ मंदिर,नसिया मंदिर और श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर में दिनभर श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा। पारसनाथ मंदिर में छोटे-छोटे बच्चों ने जिनेंद्र भगवान के अभिषेक किए। बच्चों की जिनेंद्र भगवान के प्रति भक्ति को देखकर के लोग हतप्रभ नजर आए। पारसनाथ मंदिर में हुई भजन संध्या में मुख्य अतिथि पंकज कुमार गुप्ता ने कहा कि जैन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है भगवान महावीर स्वामी के साथ अहिंसा के सिद्धांत मानवता को जीवंत रखने वाले हैं। वर्धमान हॉस्पिटल की निदेशक डॉ. सुलेखा जैन ने कहा कि जैन धर्म कर्म प्रधान है प्रत्येक व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल भुगतना होता है। अच्छे कर्मों का परिणाम सदैव अच्छा ही होता है। अतिथियों ने भजन संध्या में नृत्य पेश करने वाले 30 से अधिक प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार देकर के सम्मानित किया। दर्शकों ने नीरज जैन, सीमा,सोनिया,दिया जैन, चेल्सी, श्रेया, नव्या, अंशिता जैन, शिवानी जैन, संगीता, तनव, दक्ष, अभी जैन, रीत आदि की प्रस्तुतियों की जमकर सराहना की। इससे पहले कार्यक्रम संयोजक रिंकू जैन एवं डॉ रीता जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रतिवेदन अध्यक्ष महावीर शाह ने पेश किया। संचालन आलोक जैन ने किया। निर्णायक की भूमिका डिवाइन स्कूल की प्राचार्य सुरभि गुप्ता, पूनम शर्मा एवं सिमरन जैन ने निभाई। सुगंध दशमी के मौके पर दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष प्रवीण गंगवाल, सांस्कृतिक कार्यक्रम संयोजक विमल चंद जैन, जगदीश प्रसाद जैन, अंजना जैन सहित जैन धर्मावलियों ने मंदिरों में धूप खेई। नसिया जी मंदिर में आकर्षक झांकियां सजाई गई। झांकियां को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे झांकियां में जैन धर्म और संस्कृति का संजीव अंकन होने से लोगों ने काफी सराहना की।


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