पत्रकारिता एक पेशा है व्यवसाय नहीं-आर डी दुबे आजाद


प्रयागराज। क्रांतिकारी पत्रकार परिषद की मंडलीय समीक्षा बैठक की गई जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के दौरान संगठन को मजबूती प्रदान करने, निष्पक्ष पत्रकारिता, पत्रकारों से जुड़े तमाम अहम बिंदुओं पर चर्चा की गई। इस मौके पर मंडल प्रभारी प्रयागराज आर डी दुबे आजाद ने अपने वक्तव्य में कहा कि पत्रकारिता का काला सच एक गंभीर मुद्दा है जिसमें सच्चाई की जगह दलाली और पक्षपात ने ले ली है। यह समस्या न केवल पत्रकारिता की विश्वसनीयता को कम करती है बल्कि समाज में भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। दलाली और पक्षपात के कारण पत्रकारिता की निष्पक्षता और सच्चाई आज खतरे में पड़ती दिख रही है। जिससे जनता को सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसके परिणाम स्वरूप जनता का पत्रकारिता पर से विश्वास उठता जा रहा है जिससे समाज में अफवाहें और गलत सूचनाएं फैल रही हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए पत्रकारिता में पारदर्शिता, निष्पक्षता और सच्चाई को बढ़ावा देना आवश्यक है।पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है व्यवसाय नहीं जिसमें सच्चाई को उजागर करने और पीड़ितों की आवाज उठाने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन आजकल अधिकांश पत्रकार दलाली और अधिकारियों की चमचागीरी में लगे हुए हैं।अधिकारी की प्रेस वार्ता में बिस्किट खाकर और चाय पीकर पत्रकार नहीं बन जाते। थाने और तहसील के चक्कर लगाने से भी पत्रकार नहीं बन जाते। पत्रकारिता का असली मतलब है पीड़ितों की आवाज उठाना, उनकी रिपोर्ट दर्ज कराना और उन्हें न्याय दिलाना। लेकिन आजकल के दलाल पत्रकारों को यह सब करने की फुर्सत कहां है? वे तो बस अधिकारियों की चमचागीरी करने में व्यस्त हैं और अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।
दलाल पत्रकारों की औकात: एक मजाक
आजकल अधिकांश पत्रकारों में इतनी औकात नहीं है कि वे अपने रिश्तेदार या पड़ोसी को मामूली झगड़े में बिना शान्तिभंग के चालान के छुड़ा सकें। अगर आप अधिकारियों के भ्रष्टाचार की खबरें नहीं छापते हैं तो आप पत्रकार नहीं हैं। आप तो बस एक दलाल हैं, जो अधिकारियों की चमचागीरी करके अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं। आपकी पत्रकारिता तो बस एक मजाक बनकर रह गई है, जो केवल अधिकारियों की जी हजूरी करने के लिए है। शर्म आनी चाहिए कि आप पत्रकारिता के नाम पर कलंक हैं। आप सच्चाई को दबाने और अधिकारियों के भ्रष्टाचार को छुपाने में लगे हुए हैं। आपकी पत्रकारिता तो बस एक व्यवसाय बनकर रह गई है, जिसमें आप अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।बड़े अखबारों ने अब काफी सुधार किया है और अधिकारियों की चमचागीरी और तबलमंजनी वाली खबरों पर लगाम कसी है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। पीड़ितों की आवाज उठाने और न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए निष्पक्ष पत्रकारिता की जरूरत है। हमें सच्चाई की लड़ाई लड़नी होगी और पीड़ितों को न्याय दिलाना होगा।आपको निष्पक्ष पत्रकारिता करनी होगी और अधिकारियों के भ्रष्टाचार को उजागर करना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको पत्रकारिता छोड़ देनी चाहिए। हमें सच्चाई की लड़ाई लड़नी होगी और पीड़ितों को न्याय दिलाना होगा। नहीं तो, पत्रकारिता का पेशा और भी बदनाम होता जाएगा। आपकी पत्रकारिता की सच्चाई तो यही है कि आप दलाल हैं या सच्चाई के लिए लड़ने वाले पत्रकार? फैसला आपको करना है। इस दौरान क्रांतिकारी पत्रकार परिषद के तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे।


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