कामां में मां शब्द समाहित है जिसकी उपमा नही दी जा सकती- हरि चैतन्य पुरी
कामां- तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित हरिकृपा आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरीचैतन्य पुरी महाराज ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा का अवलोकन करते हुए घेर वाली चामड मंदिर पर पहुंचे जहां मंदिर समिति द्वारा उनका स्वागत सम्मान किया गया |
मंदिर समिति के अध्यक्ष राधाशरण शर्मा व खैमराज मातूकी वाले ने बताया कि ब्रज चौरासी कोस मार्ग स्थित घेर वाली चामड़ माता मंदिर में ब्रज चौरासी कोस पद यात्रियों को संबोधित करते हुए हरिचैतन्य पुरी महाराज ने कहा कि देवी जगत की उत्पत्ति के समय ब्रह्मसूत्र और जगत की स्थिति में हरि रूप धारण कर लेती है तथा संहार के समय रूद्र मूर्ति बन जाती है । वह देव और मानव जाति के रक्षार्थ युद्ध करते हुए शत्रुओं का संहार करती है। उन्होंने कहा कि मां शब्द की कोई उपमा नहीं दी जा सकती है और कामां में मां शब्द समाहित है इसलिए कामा की भी उपमा नहीं दी जा सकती है।चामड़ मन्दिर समिति के अध्यक्ष राधाशरण शर्मा व समिति के पदाधिकारियों ने महाराज जी का शाल, माला, दुपट्टा, प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत सम्मान किया तो वही मन्दिर प्रांगण में चौरासी कोस परिक्रमार्थियों की चल रही सेवा को देखकर बड़े अभिभूत हुए और मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि कामवन वासियों ने परिक्रमार्थियों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी है।सभी साधुवाद के पात्र हैं। विशेष रूप से चामड़ माता मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सभी को जोड़कर सेवा का एक नया आयाम स्थापित किया है। सहयोगीयों, भामाशाहों, दानदाताओं एवं कार्यकर्ताओं ने मिलकर सेवा का अनूठा भाव प्रस्तुत किया है। इस अवसर पर संजय जैन बड़जात्या ,मोतीलाल शर्मा, डोली तमोलिया, रमेश, जगदीश पंडित, मनोज गंगोरा वाले कल्ला पंडित,खेमेन्द्र शर्मा सुरेश सोनी, अजय नरकट, गिर्राज सोनी,जगदीश सोनी सहित अनेको श्रद्धालु उपस्थित रहे।