Kekdi : सुरेन्द्र दुबे स्मृति अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

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‘‘श्री सुरेन्द्र दुबे हास्य रत्न सम्मान‘‘
पं. सत्यनारायण सत्तन को दिया गया”

केकड़ी|श्री सुरेन्द्र दुबे स्मृति संस्थान द्वारा जिले के विश्वविख्यात हास्य कवि एवं संवेदनशल गीतकार स्व. श्री सुरेन्द्र दुबे की पंचम स्मरण तिथि के परिप्रेक्ष्य में नगर पालिका के रंगमंच पर सैंकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति में आयोजित भव्य सम्मान समारोह में ख्याति प्राप्त हास्य कवि एवं मंच संचालक पं. सत्यनारायण सत्तन को पांचवां ‘श्री सुरेन्द्र दुबे हास्य रत्न सम्मान‘‘ आमंत्रित अतिथियों एवं कवियों द्वारा एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपए, ताम्रपत्र, श्रीफल, शॉल, स्मृति चिह्न तथा अलंकरण आदि प्रदान करके किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री, गुजरात प्रभारी एवं स्थानीय विधायक डॉ. रघु शर्मा, विशिष्ट अतिथि टीकमचन्द बोहरा (आई.ए.एस.), मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजस्थान धरोहर प्राधिकरण, जयपुर,कार्यक्रम के अध्यक्ष कमलेश कुमार साहू-चैयरमैन नगर पालिका केकडी, रामकल्याण मीणा-तहसीलदार, संस्था के संस्थापक अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश दुबे, सचिव डॉ. अविनाश दुबे तथा उपस्थित अतिथियों और कवियों द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। संस्थान के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश दुबे ने सभी का स्वागत कर कार्यक्रम के इतिहास और सोपान को रेखांकित किया। संस्थान के मानद सदस्य और केन्द्रीय साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि एवं साहित्यकार डॉ.कैलाश मण्डेला ने स्व. सुरेन्द्र दुबे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी स्मृति को चिरस्थाई रखने हेतु किसी विद्यालय या चौराहे का नामकरण सुरेन्द्र दुबे जी के नाम पर रखने हेतु प्रस्ताव रखा जिसका उपस्थित जनसमूह ने अपनी पुरजोर तालियों के साथ समर्थन किया। मुख्य अतिथि डॉ.रघु शर्मा ने अपने उद्बोधन में स्व.सुरेन्द्र दुबे के साथ अपने आत्मीय संबंधों को रेखांकित करते हुए केकड़ी जिला मुख्यालय पर स्व.दुबे जी की स्मृति के ठोस एवं स्थाई उपक्रम या किसी संस्था या चौराहे आदि के नामकरण हेतु शीघ्र ही नियोजित प्रक्रिया आरंभ करने हेतु आश्वस्त किया। सम्मान समारोह के साथ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।
अन्तरराष्ट्रीय कवयित्री एवं मंच संचालिका डॉ. कीर्ति काले, नई दिल्ली द्वारा कवि सम्मेलन का शानदार संचालन किया गया‌। कार्यक्रम का शुभारंभ युवा गीतकार स्वर्गीय सुरेंद्र दुबे के सुपुत्र ईशान दुबे की सरस्वती वंदना के साथ हुआ। प्रथम कवि के रूप में जयपुर के गजेंद्र कविया ने श्रोताओं को राजस्थानी भाषा में अपने हास्य संवादों से खूब आनंदित किया।
‘‘गाय फेर भी बांध ले पण नी बांधे बैल,
ई कारण रंडवा फिरै घणा गाँव में छैल।।
गीतकार ईशान दुबे ने अपने श्रेष्ठ गीत-“जानकी ने कहा सौम्य श्रीराम से, मैं भी चलूंगी आपके साथ में।
जो मिला है राम को भागे सीता साथ में, भाग्य सीता का लिखा है राम के हाथ में।” प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया।ओजस्वी कवि प्रह्लाद चाण्डक- करौली ने अपने तेवर में शानदार प्रस्तुति दी “चेतना में शील का यदि चित्र नहीं है, सब व्यर्थ है यदि चरित्र नहीं है।” राजस्थानी हास्य कवि एवं गीतकार राजकुमार बादल- शक्करगढ ने राजस्थानी हास्य गीत – ‘एक फेरो और लाडी’, और‘लेग स्टम्प पे जाती जाती, मिडल स्टम्प मत छोडो जी’ रचनाओं से श्रोताओं को वंसमोर करने पर विवश कर दिया। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पैरोडीकार एवं गीतकार डॉ.कैलाश मण्डेला ने अपने चिर परिचित अंदाज में वर्तमान राजनीतिक विसंगतियों पर पैरोडियों से जम कर प्रहार किया और श्रोताओं को भरपूर आनंद प्रदान किया। वर्तमान नोटबंदी पर उन्होंने पैरोडी में कहा -“जिसका रंग गुलाबी मन भावन लगता था सबको प्यारा,यह भ्रष्ट तंत्र ही आज बना सच वालों का हत्यारा। दो हजार का नोट हमारा।।” वीर रस के प्रसिद्ध कवि अजय अंजाम औरेया (उ.प्र.) ने अपने लाजवाब काव्यपाठ से सभी को रोमांचित कर दिया। उनकी चेटक पर रचित कविता सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए।
“वीर राजपूतों की वसुंधरा ये वीर भूमि रंगीलें राजस्थान को माथा टिकाता हूँ। चेतक पे सवार महाराणा प्रताप, उन्हें श्रद्धा से शौर्य शब्द समिधा चढ़ाता हूँ।” राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के निर्देशक कवि एवं साहित्यकार टीसी बोहरा ने वर्तमान सामाजिक विसंगतियों पर बहुत श्रेष्ठ ढंग से अपनी रचना पढ़कर प्रस्तुति दी। कौमी एकता के सुप्रसिद्ध शायर कुंवर जावेद- बदायूं ने अपनी शायरी से सभी का दिल जीत लिया। ” ए.सी. होटलों में और सड़क पै भूखे की नंगे की बात करते है। मजाक देखिये इससे ज्यादा क्या होगा, दुरंगे लोग तिरंगे की बात करते हैं।।”
वरिष्ठ गीतकार सत्येन्द्र मण्डेला- शाहपुरा ने राजस्थानी भाषा में पीले रंग की महत्ता पर स्तरीय गीत पाठ कर कवि सम्मेलन को ऊंचाइयां प्रदान की। मंच संचालिका डॉ. कीर्ति काले, नई दिल्ली ने अपने मनमोहन मुक्तक सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।”अयोध्या में अगर ढूंढोगे तो श्रीराम मिलते है, जो वृन्दावन में ढूंढोगे तो घनश्याम मिलते हैं। अगर काशी में ढूंढोगे तो भोलेनाथ मिल जाए, मगर माँ-बाप के चरणों में चारों धाम मिलते हैं।।” गंगा जी के महात्म्य पर उनके गीत ने कार्यक्रम को परवान चढ़ा दिया। सम्मानित वरिष्ठ कवि इंदौर के पं. सत्यनारायण सत्तन ने अपने समापन काव्यपाठ में अपनी शैली में भरपूर आनंद प्रदान करते हुए राष्ट्र और धर्म से जुड़ी अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से आयोजन को गरिमामय बना दिया। “दान की कमाई पर जीते है अपाहिज लोग, तुम मुझको मान की कमाई पर जीने दो। कर्म की प्रकाशक गीता मेरे उर में है, साधना अगर विष है तो विष ही पीने दो।।” कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि शिव तूफान-ब्यावर सहित स्थानीय कवि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश दुबे द्वारा आगन्तुक अतिथियों, कवियों, श्रोतागणों एवं कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट कर कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभिक स्वागत संचालन सुप्रसिद्ध पत्रकार सुरेन्द्र जोशी ने किया।

Moolchand Peshwani


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