शाहपुरा| जिले को बचाने और इसके अस्तित्व की रक्षा के लिए वकीलों ने कमर कस ली है। शाहपुरा अभिभाषक संस्था ने गुरूवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में सर्वसम्मति से आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया। यह कदम उस प्रस्ताव के विरोध में उठाया गया है, जिसमें जिले को राजस्थान सरकार ने खत्म कर दिया हैं।
शाहपुरा अभिभाषक संस्था के अध्यक्ष दुर्गालाला राजोरा ने कहा, “जिला हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है। इसे खत्म करना न केवल यहां के नागरिकों के अधिकारों का हनन होगा, बल्कि स्थानीय विकास पर भी गहरा असर पड़ेगा।”
प्रवक्ता दीपक पारीक ने गुरूवार को अदालत परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से मांग की कि जिले को संरक्षित रखा जाए। शाहपुरा अभिभाषक संस्था ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो वे बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे और शाहपुरा जिले के नागरिकों व संस्थाओ को भी इस आंदोलन में शामिल करेंगे।
3 व 4 जनवरी को कार्य का बहिष्कार
शाहपुरा अभिभाषक संस्था ने घोषणा की है कि 3 व 4 जनवरी को न्यायीयक कार्य का बहिष्कार कर जिले कि बड़ी बैठक आयोजीत कि जायेंगी। बैठक में जिले के अन्य अअग्रिम संगठनो और सामाजिक कार्यकर्ताओं के शामिल किया जायेगा।
वकीलों मांगेगे समर्थन
आंदोलन को विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिलने लगे इसके लिये इसको जनचेतना अभियान कि तरह कार्य किया जायेगा। स्थानीय व्यापार मंडल, किसान संगठन और छात्र संघ को भी इस मुद्दे पर वकील साथ लेकर चलेगें। राजस्थान उच्च न्यायालय में रिट के लिये भी आवश्यक दस्तावेज जुटाने कि तैयारी कि जायेंगी।
सरकार से अपील
अधिवक्ताओं ने सरकार से अपील की है कि वे जिले के खत्म करने के निर्णय पर पुनर्विचार करें। उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो वकील उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। जिला बचाओ आंदोलन धीरे-धीरे एक जन आंदोलन का रूप स्थापीत करने का आगाज किया।
बैठक का संचालन तेजप्रकाश पाठक ने किया व वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिलोकचन्द नौलखा,अनील शर्मा ,संजय हाडा ,कन्हैयालाल धाकड,हितेष शर्मा,अंकीत शर्मा,लालाराम गुजर,प्रियेश यादव,गणपत बंजारा ,राहुल पारीक,सोहेल खान,आशीष भारद्वावज,कैला श धाकड,गजेन्र्द सिंह ,कमलेश मुण्डैतिया ने रखें।