पर्यावरण शुद्धि के लिए उपभोग का सीमाकरण आवश्यक है – साध्वीश्री पुण्यप्रभाजी

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पर्यावरण शुद्धि के लिए उपभोग का सीमाकरण आवश्यक है – साध्वीश्री पुण्यप्रभाजी

सवाई माधोपुर 4 अक्टूबर। मनुष्य की बढ़ती हुई इच्छाओं ने पर्यावरण की अशुद्धता को असीमित कर दिया है। दिखावे व भौतिकवाद की चकाचैंध ने पर्यावरण अशुद्धता के रूप में एक नई विकट समस्या उत्पन्न कर दी है।अणुव्रत के नियमों में पर्यावरण की शुद्धि को समाहित कर संयमित जीवन के माध्यम से समस्या समाधान की दिशा में सार्थक पहल की गई है।वृक्षों को अनावश्यक नहीं काटना नियम से प्रारंभ हुई यह अहिंसक पहल पर्यावरण शुद्धि का आधार बन सकता है। खान पान से लेकर जीवन पद्धति में हम संयम को अपना कर पर्यावरण शुद्धि की दिशा में अभिनव प्रयोग कर सकते है। उक्त विचार युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वीश्री पुण्यप्रभाजी ने आदर्शनगर स्थित अणुव्रत भवन में आयोजित अणुव्रत सप्ताह के अंतर्गत पर्यावरण शुद्धि दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर साध्वीश्री निर्मलप्रभाजी व डॉ. जिनायशाजी ने पर्यावरण शुद्धि जागरूकता गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी।
अणुव्रत चेतना दिवस के अवसर पर साध्वीवृंद ने गीतादेवी राबाउमावि आदर्श नगर में विद्यालय की छात्राओं के मध्य जीवन में नैतिकता व ईमानदारी की आवश्यकता को स्पष्ट किया व अणुव्रत के छोटे छोटे नियमों को अपनाकर जीवन को सफल बनाने की प्रेरणा दी। छात्राओं ने परीक्षा में अनैतिक साधनों का उपयोग नहीं करने व व्यसन मुक्त जीवन जीने के संकल्प ग्रहण किए। इस अवसर पर साध्वीश्री निर्मलप्रभाजी ने प्रेरणादाई उदबोधन दिया व साध्वीश्री जिनयशाजी ने प्रेक्षाध्यान के अनुभूत प्रयोग करवाए। कार्यवाहक प्रधानाचार्य दिनेश शर्मा ने साध्वीवृंद का आभार ज्ञापित किया। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष घनश्याम जैन ने स्टाफ व छात्राओं को धन्यवाद अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन उपासक चंद्रप्रकाश जैन ने किया। इस अवसर पर लोक अभियोजक अनिल जैन एडवोकेट ने छात्राओं को पॉक्सो एक्ट की उद्देश्यपूर्ण जानकारी देकर जागरूक बनाने की प्रेरणा दी।


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