कुशलगढ़|बांसवाड़ा जिले की कुशलगढ़ तहसील की ग्राम पंचायत लोहारिया बड़ा के मुख्यालय पर स्थित जागेश्वर महादेव के पास वाली बावड़ी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करते दिखाई दे रही है।महाराणा प्रताप नवयुग मंडल लोहारिया बड़ा के संरक्षक दिगपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि लोहारिया बड़ा गांव के पेयजल का मुख्य स्रोत रही बावड़ी आज क्षतिग्रस्त हो चुकी है। उसकी मुंडेरी उखड़ चुकी है कहीं-कहीं तो प्लास्टर भी नहीं बचा है । मुंडेरी के क्षतिग्रस्त होने के कारण बरसात का गन्दा पानी बावड़ी में प्रवेश कर जाता है जिससे लगभग 10-12 फिट मलवा भर जाने का अनुमान है । जिसकी सफाई करवाने की आवश्यकता है । यह बावड़ी लगभग 55 फीट गहरी है । जिसमें वर्ष भर भीषण गर्मी में भी पानी की आवाक बनी रहती है । 2002 में अकाल राहत काम के दौरान इसकी सफाई की गई थी । किन्तु उसके बाद किसी भी सरपंच ने इसकी सुध नहीं ली। आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व यही बावड़ी गांव के पेयजल का मुख्य स्रोत रही है जहां गांव की महिलाएं सुबह-सुबह झुंड बनाकर पानी भरने का काम करती थी। लेकिन जैसे ही गांव में जगह-जगह हैंडपंप बने और कुछ घरों में बोरिंग होने लगे जिससे इस बावड़ी का महत्व काम होता गया । लेकिन आज भी यह बावड़ी मीठे पानी के लिए “खाडी बावड़ी” के नाम से प्रसिद्ध है। किसी समय इस बावड़ी में सीडियो के द्वारा उतरने की सुविधा थी । लेकिन गांव वालों ने पेयजल की शुद्धता के लिए वर्षों पूर्व उन सीडियां को बंद कर दिया । 2002 तक यह बावड़ी पेयजल का मुख्य स्रोत रही है इस बावड़ी का पानी मीठा तो ही साथ ही फ्लोराइड की मात्रा भी बहुत कम है । गांव वाले पिछले 15 – 20 वर्षों से यहां की ग्राम पंचायत में बनने वाले हर सरपंच से इस बावड़ी की सुध लेने का आग्रह करते हैं । किंतु चुनाव जीतने के बाद एक भी सरपंच ने इस ओर ध्यान देने की कोशिश नहीं की । जिससे यह बावड़ी अपना अस्तित्व खोती जा रही है । प्रशासन से अनुरोध है कि अप्रैल में माह में इस बावड़ी की सुध ली जाए और इसकी मुंडेरी को रोड से तीन-चार फीट ऊंचा कर आसपास भराव कर दिया जाए ताकि बरसात का गंदा पानी इस बावड़ी में प्रवेश न करें और इस बावड़ी का अस्तित्व बरकरार रह सके ।