शंकरगढ़। भगवान महावीर की जयंती के शुभ अवसर पर शंकरगढ़ में जैन समुदाय द्वारा भव्यता और श्रद्धा के साथ महावीर जयंती मनाई गई। भगवान महावीर जो जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थंकर हैं। उनके जन्मोत्सव को विश्व भर में श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। इसी कड़ी में कुशल भवन में दिन भर के कार्यक्रम में भजन कीर्तन और प्रबंधन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। कुशल जैन के द्वारा बताया गया कि इस वर्ष भगवान महावीर की 2623 वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है। भगवान महावीर का जीवन त्याग, तप और अहिंसा का प्रतीक रहा है। जैन धर्म के अनुसार उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या ,ध्यान, मौन और आत्मानुशासन का पालन किया और अंततः केवल ज्ञान की प्राप्ति की। उनका संदेश है अहिंसा ,सत्य ,अस्तेय यानी चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य यानी पवित्रता और अपरिग्रह यानी अनासक्ति ही जीवन का मूल आधार होना चाहिए। इस अवसर पर जैन श्रद्धालुओं ने व्रत ध्यान प्रार्थना मंदिर दर्शन और दान आदि के माध्यम से भगवान महावीर को श्रद्धांजलि अर्पित की। जैन भवन में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण भी किया गया। शंकरगढ़ में जैन समाज की यह भक्ति और समर्पण से भरी भव्य आयोजन स्थानीय समाज में एकता और शांति का संदेश लेकर आया। इस मौके पर तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे।

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