भगवान वाल्मीकि समाज के लिए प्रेरणा के महान स्तंभ: श्री हरि चैतन्य महाप्रभु


भगवान वाल्मीकि समाज के लिए प्रेरणा के महान स्तंभ: श्री हरि चैतन्य महाप्रभु

कामां 28 अक्टूबर- तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित श्री हरि कृपा आश्रम के संस्थापक एंव श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर , स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने यहाँ श्री हरि कृपा आश्रम में उपस्थित भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने श्री राम अवतार से पूर्व ही राम कथा की रचना कर इतिहास में रामायण के प्रथम रचनाकार के रूप में एक अमिट छाप छोड़ी है। माता सीता को संरक्षण एवं लव कुश को शस्त्र व शास्त्र में निपुणकर श्री राम कथा के एक प्रमुख अध्याय में अति महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके दिव्य संदेश को अपनाकर हम अपने जीवन को दिव्यता की ओर अग्रसर कर सकते हैं। भगवान वाल्मीकि के अवतार दिवस की शुभकामनाओं व बधाई के साथ-साथ श्री महाराज जी ने उपस्थित भक्तों को दिव्य संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि यदि हमारा भगवान के प्रति सच्चा प्रेम है भगवान की कृपा तो प्राप्त होगी ही साथ ही वह स्वयं भी हमारे पास आने को आतुर हो जाएगा। भगवान के प्रति प्रेम सच्चे मन से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रेम व्यापार नहीं है। उदाहरण देते हुए कहा कि शबरी का भगवान राम के प्रति सच्चा प्रेम व गुरु के प्रति दृढ़ विश्वास ही था जो भगवान राम स्वयं चलकर उसकी कुटिया पर आए थे। अतः हम भी अपने गुरु के बताए हुए मार्ग पर चलकर उस प्रेम परिपूर्ण परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। हमें अपने गुरु के वचनों पर विश्वास नहीं वरन् दृढ़ विश्वास होना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि हमें साधन के प्राप्त हो जाने पर साध्य का परित्याग नहीं करना चाहिए। सच्चे हृदय की प्रेम विश्वास व श्रद्धा से परिपूर्ण पुकार को प्रभु अवश्य सुनते हैं। हम सभी को प्रभु व गुरु पर पूर्ण लगन व निष्ठा से अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। भगवान की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए कृपापात्र होना जरूरी है। उसकी ही कृपा है कि हमें यह मानव शरीर प्राप्त हुआ है। परंतु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए सदाचरण व सच्चा प्रेम परिपूर्ण भक्ति का होना जरूरी है। यदि मनुष्य इस तरह से भगवान से प्रेम, संसार की यथासम्भव व यथासामर्थ्य सेवा तथा अपनी खोज करें तो जीवन सुखमय व आनंदमय हो जाएगा।

अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा व श्री गुरु महाराज “कामां के कन्हैया” व लाठी वाले भैय्या की जय जयकार से गूंज उठा। स्थानीय, क्षेत्रीय व दूर-दराज से काफी संख्या में भक्तजन लगातार श्री महाराज जी के दिव्य प्रवचन सुनने पहुंच रहे हैं ।


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