प्रेम, परिवार और परमात्मा के लिए विश्वास जरूरी-नीरज नयन महाराज
गंगापुर सिटी। दिनेश चंद अग्रवाल। 24 सितम्बर। नहर रोड स्थित एक निजी मैरिज होम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस राधाष्टमी पर वृषभानु दुलारी का जन्मोत्सव मनाया गया जिसमें बधाई गायन सहित कई कार्यक्रम हुए। मुख्य यजमान कल्पना-सुनील शुक्ला ने बताया कि कार्यक्रम में कथावाचक नीरज नयन महाराज ने कहा कि कर्म के तंतुओं को शोधित करने का एकमात्र तरीका सद्गुरु की सेवा है। जैसी भक्ति परमात्मा में है, वैसी ही भक्ति यदि गुरु के प्रति है तो स्वाभाविक ही वेदों का आलोक मनुष्य के हृदय में प्रकाशित होने लगता है। महाराज ने कहा कि जैसे आवश्यकता आविष्कार की जननी है, वैसे ही प्रशंसा अहंकार की जननी है। महाराज ने कहा कि तीर्थ में जाएं तो स्वयं को भुलाकर जाएं। मंदिर जाएं तो वहां चरण पादुका और अपना परिचय छोड़ दें। क्रोध की सृष्टि कभी सृजन नहीं करती, वह संहार का ही कारक होती है। प्रेम, परिवार और परमात्मा तीनों के लिए ही विश्वास अति आवश्यक है। कथा का श्रवण करने के लिए शहर सहित विभिन्न जिलों व दूरदराज से धर्म प्रेमी कथा स्थल पहुंचे। कथा के दौरान शहर के कई गणमान्य लोगों ने महाराज के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लिया। वहीं नीरज नयन महाराज ने सभी का शॉल व दुपट्टा ओढाकर स्वागत किया। मंच संचालन ज्योति पारीक ने किया। इस मौके पर सौरभ-भारती, मयंक-रानू शुक्ला, शिखा देहली, इंद्रा, अर्चना लखनऊ, निर्मला वाजपेई इंदौर, माधोबिहारी पारीक, जितेन्द्र-कृष्णा शर्मा, महेंद्र-सपना अग्रवाल जयपुर, नीरज, तुषार आगरा, लोकेश, अर्चना, विनोद-पुष्पा गौतम, रुकमकेश सहित कई धर्मप्रेमी उपस्थित थे।
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