श्री कदमखंडी धाम में सप्त दिवसीय भागवत कथा का समापन, आज होगा महाभंडारा आयोजन
नदबई- कदम खंडी धाम नदबई में आयोजित हो रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन शनिवार को हो गया है। इस संपूर्ण कार्यक्रम के आयोजक स्थानीय युवा भाजपा नेता और समाजसेवी दौलत सिंह फौजदार ने बताया कि कथा समापन के बाद आज रविवार को श्री कदम खंडी धाम में ही महाभंडारे यानी सामूहिक भोज का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नदबई विधानसभा क्षेत्र की समस्त जनता सादर आमंत्रित है। दौलत सिंह ने बताया कि भागवत कथा के सातों दिन कुल मिलाकर 2 से 2.5 लाख लोगों की उपस्थिति यहां रही तथा हर दिन 35,000 से अधिक लोगों ने बैठकर यहां भागवत कथा का श्रवण किया।
उल्लेखनीय है कि नदबई के श्री कदम खंडी धाम में यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन सिद्ध हुआ है, जिसकी चर्चा आज संपूर्ण भरतपुर में और इसके बाहर भी हुई है। समापन दिवस पर कथावाचक देवी चित्रलेखा का धन्यवाद और सम्मान ज्ञापित करते हुए दौलत सिंह ने कहा कि भागवत के आयोजन में नदबई के सर्व समाज को जोड़ने और क्षेत्र में धार्मिक एकता का कार्य किया है। इससे सामूहिक परिवार की संस्कृति को बल मिला है तथा क्षेत्रवासियों में अपनी विरासत व अपने संस्कारों को लेकर जागरूकता का प्रसार हुआ है।
दौलत सिंह फौजदार ने कहा कि नदबई के इस प्रसिद्ध पौराणिक स्थान श्री कदमखंडी धाम की महिमा का अब तक किसी जनप्रतिनिधि ने प्रचार-प्रसार का प्रयास नहीं किया, जबकि वृंदावन की भांति इस स्थान की महिमा को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जा सकता है। जनप्रतिनिधि की उपेक्षा के कारण नदबई और इस क्षेत्र का विकास आज तक नहीं हुआ है। लेकिन अब नदबई के सभी जनों के सामूहिक प्रयास से यहां नवीनीकरण और जीर्णोद्धार का कार्य किया जाएगा, जिससे श्री कदम खंडी धाम को की पहचान सर्व व्यापक हो सकेगी।
दौलत सिंह ने कहा कि यह विडंबना है कि हमारे जनप्रतिनिधि वोट लेकर सरकार में तो आ जाते हैं, लेकिन उनके पास क्षेत्र के विकास का, यहां के डेवलपमेंट का और क्षेत्र वासियों की खुशहाली के लिए कोई विजन नहीं होता। उनकी ऐसी सोच नहीं होती कि मेरे क्षेत्र के लोग आगे बढ़े – तरक्की करें। वो बस अपना-अपना सोचते हैं, सबके बारे में कोई नहीं सोचता है। यही कारण है कि राजनीति में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, राजनीति आज एक कीचड़ की तरह हो चुकी है, लेकिन कीचड़ को साफ करना है तो कीचड़ में उतर कर ही अच्छे से साफ किया जा सकता है। और इसमें अगर पैर गंदे करने पड़ेंगे तो पैर गंदे करके हम राजनीति के कीचड़ को साफ करेंगे।
भागवत कथा के अंतिम दिवस इस कथा के विश्राम से पहले फूल होली का उत्सव हुआ और महा आरती के साथ सप्तम दिवस की कथा को विश्राम दिया गया।
P. D. Sharma