बह रही धर्म आध्यात्म की गंगा श्रद्धालुओं के लिए खुले अन्न के भंडार; महाकुम्भ में श्रद्धालु एक साथ कर सकेंगे सभी प्रमुख मंदिरों के दर्शन
महाकुम्भनगर।राजदेव द्विवेदी। महाकुम्भ में आए श्रद्धालु देश के सभी प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन एक साथ कर सकेंगे। यहां तिरुपति बालाजी का मंदिर बनकर भक्तों के लिए तैयार है तो राम मंदिर, मेहंदीपुर बालाजी के मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें भी देखी जा सकती हैं। इनके साथ साथ अक्षरधाम, चार धाम, खाटू श्याम, मां कामाख्या देवी, इस्कॉन मंदिर श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित कर रहे हैं।
बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालु
महाकुम्भनगर में हर दिन लाखों श्रद्धालु यहां जुट रहे हैं और भक्ति के साथ-साथ स्वादिष्ट प्रसाद और व्यंजनों का आनंद भी ले रहे हैं। यही नहीं, यहां पर धर्म, आध्यात्म की गंगा बह रही है। श्रद्धालुओं के लिए अन्न के भंडार खोल दिए गए हैं। यहां रबड़ी से लेकर चाय, हलवा, पूड़ी सब्जी समेत लगभग सभी प्रमुख व्यंजन उपलब्ध हैं।
महाकुम्भ में पहली बार मिलेगा मां कामाख्या के मंदिर का चरणामृत
महामंडलेश्वर स्वामी केशवदास महाराज ने गुवाहाटी से यहां महाकुम्भ नगर में आकर श्रद्धालुओं के दर्शन को सुलभ करने का प्रयास किया है। महामंडलेश्वर के अनुसार महाकुम्भ में श्रद्धालु पहली बार मां कामाख्या का प्रतिरूप थ्रीडी के रूप में देख सकेंगे। माता की मूल प्रतिमा की मिट्टी यहां गर्भगृह में रखी जाएगी, जिसे मां का आह्वान करके यहां महाकुम्भ में लाया गया है। इसके अलावा श्रद्धालुओं को वही चरणामृत पान करने को मिलेगा, जो मां कामाख्या के मंदिर में प्रदान किया जाता है। श्री गुरदास जी महाराज भक्ति योग संस्था की ओर से इसके लिए विशेष आयोजन किया गया है।
धर्म आध्यात्म की राजधानी करा रही देवलोक का अनुभव
महाकुम्भ नगर अब केवल एक शहर नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है। यहां धर्म, भक्ति और सेवा का अनोखा संगम हर भक्त को देवलोक का अनुभव प्रदान कर रहा है। सेक्टर 7, 8 और 9 इसके प्रमुख केंद्र बन गए हैं, जहां पूरे देश के बड़े मंदिरों की प्रतिकृति को स्थापित किया गया है। यहां तिरुपति मंदिर की स्थापना की गई है तो वहीं राम मंदिर भी स्थापित किया गया है। सेक्टर 7 में मेंहदीपुर वाले बालाजी का भी मंदिर बन चुका है जहां सुबह शाम भजन संध्या का आयोजन हो रहा है। यहीं नहीं सेक्टर 7 में ही उत्तराखंड राज्य के पवेलियन में चारों धाम भी स्थापित किए गए हैं। यहीं पास में अक्षरधाम मंदिर की भी प्रतिकृति स्थापित की गई है।