महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन महाकुंभ प्रयागराज के लिए हुए रवाना


भीलवाड़ा। पेसवानी। हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन आज, मंगलवार 21 जनवरी को प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के लिए रवाना हुए। इस अवसर पर आश्रम के संत गोविंद राम, ब्रह्मचारी इंद्रदेव, सिद्धार्थ, कुणाल और दो सारथियों समेत अनेक भक्तगण भी उनके साथ उपस्थित रहे।
महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने बताया कि इस महाकुंभ के दौरान सेवा और सुमिरन की परंपरा को निभाते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में 27 जनवरी को भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही महाकुंभ में अखाड़े की ध्वजा स्थापना कार्यक्रम में भी उनकी सहभागिता रहेगी।
ज्ञातव्य है कि हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा हर कुंभ महोत्सव में समाज सेवा के लिए सक्रिय रूप से योगदान देता रहा है। इस बार भी कुंभ के अवसर पर जरूरतमंदों के लिए कंबल, स्वेटर, टोपी, मफलर और वस्त्र वितरण के साथ-साथ भंडारा सामग्री का प्रबंध किया गया है।
स्वामी हंसराम उदासीन ने बताया कि 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान में वे संतों और महापुरुषों के साथ भाग लेंगे। इस महत्वपूर्ण अवसर पर देश-विदेश से उनके अनुयायी भी प्रयागराज पहुंचेंगे।

हर्ष और उत्साह का माहौल
महाकुंभ के लिए प्रस्थान करते समय आश्रम में विशेष उत्साह का माहौल देखा गया। हरी सेवा संस्थान के पदाधिकारी, ट्रस्टी और बड़ी संख्या में अनुयायियों ने स्वामी जी को विदाई दी। इस अवसर पर स्वामी जी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि कुंभ महोत्सव केवल आध्यात्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि समाज सेवा और परोपकार का प्रतीक है। उन्होंने सभी से समाज सेवा और धर्म के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया।

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प्रयागराज में विशेष तैयारियां
महाकुंभ प्रयागराज में स्वामी हंसराम उदासीन और उनके अनुयायियों के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में होने वाले भंडारे में श्रद्धालुओं और संतों के लिए व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। आश्रम की ओर से जरूरतमंदों के लिए अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक सामग्रियों का वितरण किया जाएगा। स्वामी जी के नेतृत्व में हर कुंभ महोत्सव में हरी शेवा उदासीन आश्रम की उपस्थिति न केवल भक्ति और सेवा का संदेश देती है, बल्कि समाज को एकजुटता और सद्भाव का संदेश भी प्रदान करती है। इस बार भी महाकुंभ में आश्रम की यह परंपरा जारी रहेगी।


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