शाहपुरा|शाहपुरा में महाराणा प्रताप की जयंती बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाई गई। इस विशेष अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें वाहन रैली और शोभायात्रा मुख्य आकर्षण रहे। बाद में राजपूत छात्रावास में भी महाराणा प्रताप जयंती का आयोजन समारोह पूर्वक किया गया. यहां प्रतिभाओं का सम्मान भी किया गया.
त्रिमूर्ति चौराहे पर समारोह की शुरुआत धरती देवरा वाटिका से हुई, जहां से भव्य वाहन रैली निकाली गई। इसके बाद बालाजी की छतरी से एक विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया।शोभायात्रा में शामिल होने के लिए जिले के कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत, राज परिवार के सदस्य सहित कई प्रमुख जनप्रतिनिधि पैदल ही त्रिमूर्ति चौराहे तक पहुंचे। शोभायात्रा में ऊंट सवार और पंजाबी बैंड ने भी अपनी प्रस्तुति दी, जिससे माहौल में और भी जोश और उत्साह भर गया। यह आयोजन पहली बार जिला मुख्यालय पर हुआ, जिसमें राजपूत समाज के अलावा सर्व समाज के लोग भी भारी संख्या में शामिल हुए, जिससे एकता और समरसता का संदेश दिया गया।
समारोह के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने महाराणा प्रताप के जीवन और उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला। वक्ताओं में शाहपुरा राज परिवार के जय सिंह, डॉ. सत्यनारायण कुमावत, परमेश्वर कुमावत, कन्हैया लाल धाकड़, नगर परिषद सभापति रघुनन्दन सोनी, पार्षद हमीद खां कायम खानी, पूर्व प्रधान गजराज सिंह राणावत, घूमन्तु समाज के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर लाल धाकड़, प्रेस क्लब महासचिव मूलचन्द पेसवानी, आयोजन समिति के गजेंद्र सिंह राणावत और महेन्द्र सिंह राणावत, कश्मीर के नरेंद्र सिंह चारण प्रमुख रहे।
जिला कलेक्टर ने अपने सम्बोधन में महाराणा प्रताप के देशभक्ति, साहस और संघर्ष की सराहना की और सभी से उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।
डा. सत्यनारायण कुमावत ने कहा, “महाराणा प्रताप का जीवन हमें सिखाता है कि किस प्रकार हमें विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए। उनका संघर्ष और त्याग हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।” उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों को समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक बताया।परमेश्वर कुमावत ने कहा, “महाराणा प्रताप का नाम ही हमें गर्व से भर देता है। उनका साहस और दृढ़ संकल्प हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।” उन्होंने उनके संघर्षों को विस्तार से बताते हुए समाज में उनकी विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।नगर परिषद सभापति रघुनन्दन सोनी ने कहा, “हमारे इतिहास में महाराणा प्रताप जैसा योद्धा सदियों में एक बार ही जन्म लेता है। उनकी वीरता और स्वतंत्रता की भावना को हमें हमेशा संजोकर रखना चाहिए।” उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों को समाज में नई पीढ़ी को अपने इतिहास और महान व्यक्तित्वों से परिचित कराने का महत्वपूर्ण माध्यम बताया।पार्षद हमीद खां कायम खानी ने अपने सम्बोधन में कहा, “महाराणा प्रताप ने हमें यह सिखाया कि स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। उनका जीवन हमें अपने देश और समाज के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा देता है।” उन्होंने सभी समुदायों से महाराणा प्रताप के आदर्शों को अपनाने की अपील की।पूर्व प्रधान गजराज सिंह राणा वत ने कहा, “महाराणा प्रताप की जयंती मनाना हमारे लिए गर्व की बात है। उनका जीवन और उनकी कहानियाँ हमें हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति सजग और समर्पित रहने की प्रेरणा देती हैं।” उन्होंने समाज के सभी वर्गों से उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की अपील की।घूमन्तु समाज के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर लाल धाकड़ ने कहा, “महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में जो त्याग और संघर्ष किया, वह हमें अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहने की प्रेरणा देता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपने आदर्शों पर अडिग रहना चाहिए।” उन्होंने समाज के सभी वर्गों से महाराणा प्रताप के सिद्धांतों को अपनाने का आह्वान किया।
प्रेस क्लब महासचिव मूलचन्द पेसवानी ने कहा, “महाराणा प्रताप का जीवन हमें यह सिखाता है कि हमें अपने आदर्शों और मूल्यों के प्रति सदैव निष्ठावान रहना चाहिए। उनकी वीरता और संघर्ष की कहानियाँ हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।” उन्होंने युवाओं को प्रताप के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।
आयोजन समिति के गजेंद्र सिंह राणावत और महेन्द्र सिंह राणावत ने कहा, “महाराणा प्रताप की जयंती मनाना हमारे लिए गर्व का विषय है। उनके जीवन और संघर्षों से हमें सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी।” उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों को समाज में देशभक्ति और समर्पण की भावना को प्रबल करने का महत्वपूर्ण माध्यम बताया।इस आयोजन ने शाहपुरा में एकता और भाईचारे का संदेश दिया और समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लेकर, इस प्रकार के आयोजन समाज में देशभक्ति और समर्पण की भावना को प्रबल करने में सहायक होते हैं।