माली/सैनी समाज द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास मनाई


उनियारा/चौरु। सैनी छात्रावास चौरु महात्मा ज्योतिबा फुले छात्रावास में माली/सैनी समाज द्वारा छात्रावास में   के साथ 198 वी महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई गई ,कार्यक्रम में समाज के मुख्य अतिथियों द्वारा माता सावित्रीबाई फुले व महात्मा ज्योतिबा फुले के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर माला व पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई । इस दौरान बसंत कुमार सैनी निजी विद्यालय के संचालक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर समाज को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को सशक्त बनाने में अहम किरदार निभाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था।उनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविंदराव था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले’ के नाम से जानी जाती थी। ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे। उन्होंने मराठी में अध्ययन किया। वे महान क्रांतिकारी,भारतीय विचारक, समाजसेवी,लेखक एवं दार्शनिक थे। 1840 में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था। महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था। जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्‍वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी जिसके प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे। उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी।स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला। लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिबा को दिया जाता है।इन प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था। लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत हुई, जो आजादी की लड़ाई में उनके संबल बने। उन्होंने किसानों और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किया था।ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई। इस महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी। महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर वरिष्ठ अध्यापक हरगोविंद सैनी बताया कि समाज को ज्यादा से ज्यादा बालिका शिक्षा पर बढ़ावा देना चाहिए शिक्षा ही समाज को सर्वोच्च स्थान पर ले जा सकती है इसलिए ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं को शिक्षा दिलवाना चाहिए। वही ऑल इंडिया सैनी समाज उपाध्यक्ष लल्लू लाल सैनी ने कहा कि समाज में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होते रहना चाहिए जिससे समाज में एक नई जागरूक की अलख जगेगी साथ ही समाज में फैली हुई कुर्तियां का विलुप्त होगा वह समाज में नहीं जागृति आएगी और कहां कि समाज में बेटियों को अधिक से अधिक पढ़ाना चाहिए बेटियां दो घरों को संवारती है समाज के उत्थान के लिए बालिका को शिक्षा बढ़ावा देना चाहिए इसलिए समाज के उत्थान के लिए बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत ही महत्वपूर्ण है। महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती के अवसर पर सैनी महासभा पत्रकार समिति के जिलाअध्यक्ष अशोक कुमार सैनी,मुरारी लाल सैनी ईमित्र संचालक,नानकराम सैनी,हनुमान सैनी,श्रवण कुमार सैनी,कालू राम सैनी भभीवाल,छोटू लाल सैनी,प्रहलाद सैनी,रामबाबू सैनी चिरंजी लाल सैनी,कन्हैया लाल सैनी,धनराज सैनी,राजू सैनी,राजेश सैनी,महेंद्र सैनी,सुनील कुमार सैनी,ईश्वर सैनी,लोकेश सैनी,विशाल सैनी,मुरारी और कुमारी शालू आदि समाज की महिलाएं ,बच्चे व सैकड़ों गणमान्य लोग मौजूद थे।


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