मनुष्य को कर्मफल भोगना ही पड़े‌गा-उत्तम स्वामी


प्रतापगढ़| ” नाहम् वसामि वैकुंठे, ना योगिनाम हृदये, मद्भक्ता यत्र गायंति तत्र तिष्ठंति नारद l” , आज महामंडलेश्वर पंचअग्नि अखाड़ा ), हरिद्वार के ध्यान योगी महर्षि उत्तमस्वामीजी महाराज ने भी रोकड़िया हनुमान जी कथा में कहा- ” ईश्वर ना तो वैकुंठ में रहते हैं और ना योगियों के हृदय में। जहां भक्त भजन, कीर्तन करते हैं, वहीं ईश्वर रहता है ।” महर्षि उत्तम स्वामीजी ने कहा”प्रथम भक्ति संतन कर संगा, दूसरी भक्ति मम कथा प्रसंगा।” महर्षि उत्तम स्वामी ने -संचित कर्म, क्रियमाण कर्म और प्रारब्ध कर्म की व्याख्या करते हुए कहा-” आप आज इस जन्म में जो हो, जो आप को मिला, वो आपके पूर्व जन्म के कर्मों का प्रतिफल प्रारब्ध है। आप द्वारा किए गए धर्म कर्म-और पाप कर्म सबका फल आपको मिलना ही है। धर्म कार्यों से आनंद अवश्य मिलेगा और पाप कर्मों के फल आपका कई जन्मों तक पिछा नहीं छोडेगा l “भीष्म पितामह ने श्रीकृष्ण से पूछा- मुझे इतने तीरो से क्यों बिंधना पड़ा। इस शरीर में इतने घाव क्यों लगे ?
ऐसा क्यों ? मैंने ध्यान मे देखा, पिछले 100 जन्मो तक ऐसा कोई पाप नहीं किया ।” श्री कृष्ण ने कहा “102 जन्मों पूर्व देखो– आपने बाग में एक कीट को पकड़ कर उस को कांटे चुभा- चुभा कर घायल किया, उसी कर्म प्रारब्ध से आपको इतने तीर लगे। इसलिए जीव हिंसा, पाप कर्म मत करो । यही तो हमारे सनातन धर्म की सीख आपको माता पिता द्वारा दी जाती है। इसे मानो।लेकिन “अहिंसा परमो धर्म, धर्म हिंसा तथैव च ।” सीमा पर देश की रक्षा के लिए सैनिक आतंकवादि‌यों को मारते, ये पाप कर्म नहीं, उसका कर्तव्य है- राष्ट्रधर्म के लिए हिंसा। पापियो का नाश l महर्षि उत्तम स्वामी जी ने कथा में दक्ष यज्ञ प्रसंग के बाद शिव विवाह मे भजन- शिव शिव लहरी बम बम लहरी के भजन पर भक्त गण नृत्य करने लगें l 5 वर्ष के बालक भक्त ध्रुव को नारद जी द्वारा दिए मंत्र से साक्षात नारायण को बालक धुव ने प्राप्त किया l जो ध्रुव तारा आज भी आसमान में चमक रहा है l आज मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और जिला कलेक्टर डा. अंजलि राजोरिया ने गुरूदेव से भेट की l आशीर्वाद लिया l ये जानकारी गुरुभक्त मंडल के चन्द्रशेखर मेहता ने दी और बताया कि मुख्य यजमान कमलेश पाटीदार पौथी पूजन के यजमान डा. मुकेश शर्मा वैद्य, आरती के भगवतीलाल पणिया परिवार झासड़ी, भोजन प्रसादी के यजमान पुष्करना व्यास परिवार -पूर्णाशंकर व्यास, भंवरलाल व्यास झांसड़ी रहे। कोटा से संघ के वरिष्ठ प्रचारक राजेन्द‌ सिंह ,ओम प्रकाश ओझा, तरुण पालीवाल आदि ने आशीर्वाद लिया l संचालन प्रकाश व्यास ने किया।

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