मां गौरी की आराधना कर किया व्रत का पारायण
शाहपुरा|सौभाग्य की कामना और संतान की खुशहाली सहित परिवार के सुख समृद्धि हेतु सुहागन महिलाओं ने कजली तीज का व्रत रख मां गौरी और शिव आराधन अपने व्रत का पारायण किया। भाद्रपद कृष्ण पक्ष के तृतीय तिथि को बनाए जाने वाले उक्त पर्व को सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। साल भर की बड़ी तेज में शुमार यह तीज का पर्व रक्षाबंधन से तीन दिन बाद मनाया जाता है। शनिवार को कजली तीज के अवसर पर महिलाओं ने सुबह से ही निर्जल व्रत रख नीम के पत्तों तथा दीप प्रज्वलित कर मां गौरी का आसान सजाया तथा जो, गेहूं, चने आदि का सत्तू घी और मेवा मिलकर नैवेद्य बना सौलह श्रृंगार कर माता की पूजा कर सौभाग्य की कामना की। इसके पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारायण किया। इससे पूर्व मां गौरी का पूजन करते समय बुजुर्ग महिलाओं ने व्रत को लेकर धार्मिक कथाएं कहते हुए बताया कि यह व्रत सर्वप्रथम माता पार्वती ने रखा था। जिससे दांपत्य जीवन में प्रेम और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रताप से वैवाहिक जीवन में क्लेश दूर होता है साथ ही संतान और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है।